कर्म आ ईश्वर पर भरोसा रखीं

November 4, 2022
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संजय कुमार पाण्डेय ‘ सिद्धांत ’

सभे के आपन-आपन कर्म के फल जरूर मिलेला, जेकरा कारण प्रत्येक जीव वनस्पति, पशु या मानव रूप में असंख्य जन्म से गुजरेला। एह कर्म फल के तुलना हमनी के बैंक से कर सकिला, काहे कि जब तक बैंक के हिसाब-किताब के निपटान पूरा ना होखे, तब तक कोई भी व्यक्ति कर्म प्रभाव से मुक्त ना हो सकेला। मात्र मानव ही एक अइसन प्राणी बा, जे अपना भाग्य के बदल सकेला। ईश्वर केहू के अकारण दुःख या सुख ना देवेलन। हर व्यक्ति जइसन पात्रता रखेला दुःख-सुख भी ओही मुताबिक मिलेला। हर व्यक्ति के मन में एक बात हमेशा गूँजत रहेला कि हमरा से सभे ज्यादा सुखी बा, काहे हमही सारा दुख झेलsतानी, हम काहे ना ओइसन बन पइलीं,  जइसन फलां व्यक्ति बन गइल। इहे दुःख दोसरा से ईर्ष्या-द्वेष, परिवार में सब के साथ दुर्व्यवहार करके, स्वार्थी रूप धर के आगे निकले खातिर उकसावेला आ सभे अपना लोग के नीचा देखावे में आपन शान समझे लागेला।

ई सब कइला के बाद रउरा इहो कहत रहिला कि हम त सभे के प्रति अच्छा आ दयालु रहल बानी, फेर हमरा साथे अइसन काहे होता। एह स्थिति के स्पष्ट करे खातिर एगो प्रसंग के उल्लेख इहाँ कइल चाहम। महाभारत के युद्ध के बाद जब कृष्ण द्वारका जाए खातिर तइयार भइलन त, कौरव-पांडव आ अन्य लोग  से कहलन कि अब हम त द्वारका जातानी।  अगर कवनो बात मन में होखे त पूछ लीं रउआ सभे। तब राजा धृतराष्ट्र श्रीकृष्ण से पूछलन कि हमरा लागेला कि हम त सभे ला बहुत अच्छा रहलीं, त हमरा साथे अइसन काहे भइल। केशव, हमरा के बताईं कि काहे हम अंधा भइलीं आ काहे हमार सौ पुत्र मारल गइलन। तब श्रीकृष्ण धृतराष्ट्र से कहलन, रउआ एकर उत्तर स्वयं रउरा अंतर्मन से मिली, रउआ तनि  अपना अंतर्मन में झांक के देखीं। श्रीकृष्ण के कहला पर राजा धृतराष्ट्र अपना अंतर्मन में झांके लगलन। कहल जाला कि हमनी के आत्मा पूर्व जन्म के भी लेखा-जोखा रखेला। राजा धृतराष्ट्र के अंतर्मन में झंकला पर ऊ पवलन कि पिछला जन्म में ऊ एगो तानाशाह राजा रहलन। एक दिन जब एगो झील के बगल से गुज़रलन त उनका एगो अइसन हंस दिखल, जे आपन सौ बच्चा के साथ तैरत रहे। ओह घड़ी राजा धृतराष्ट्र आपन अहं के तुष्टि ला, आपन आदमियन के आदेश देलन कि जाकर ओह हंस के दुनो आंख फोड़ द आ ओकर सौवो बच्चा सब के मार द। ई देखके राजा धृतराष्ट्र के बुझा गइल कि हमरा साथे जे भी भइल, ऊ काहे भइल। उपरोक्त उदाहरण से ई त स्पष्ट हो गइल कि हमनी के कर्म के नियम से आ पुनर्जन्म के नियम से नियंत्रित होइला। परेशानी के झेलला के ईश्वर के आशीर्वाद मान के रहे के बा, काहे कि ईश्वर जे कुछ भी हमनी के साथ करेलन ऊ खाली हमनी में सुधार करे के दृष्टि से करेलन। यदि हमनी के खुश या सम्पन्न नइखीं त हमनी के माने के पड़ीं कि हम जरूर प्रकृति के कवनो ना कवनो नियम के  तुरले होखम, चाहे वर्तमान में या पूर्व जन्म में। जीवन में हर परेशानी हमनी के एहसास दिलावेला कि हमनी से निश्चित ही कवनो ना कवनो बड़ भूल भइल बा। जइसे बीमार भइला पर, हमनी के डॉक्टर के पास जाइला, ओइसही परेशानी में भगवान के शरण में जाइल जरूरी बा, ताकि कवनो भी भूल के प्रायश्चित हो सके। रउआ खाली आपन कर्म आ ईश्वर पर विश्वास रखला के जरूरत बा।

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