कुछ पिछलो जनम के पुण्य-पाप होला 

November 4, 2022
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श्रीधर दुबे

भारतीय परम्परा में जन्म-जन्मांतर पर खूब बात भइल बा। इहवाँ आत्मा के सम्बंध खाली एहि देहिए ले नाही मानल जाला। गीता में कृष्ण भगवान कहले भी बाने कि जइसे मनई पुरान कपडा के छोडी के नया कपडा धारण करेला ठीक वोही तरे आत्मा भी शरीर के जीर्ण-शीर्ण हो गइले पर नया शरीर धारण करेला

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय

नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

तथा शरीराणि विहाय जीर्णा

न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

पुनर्जन्म के प्रमाण सँस्कृत साहित्य में खूब मिलेला। हालाँकि ये बात पर तमाम तर्क वितर्क भी होला की ई सहि ह आ कि गलत ? लेकिन ये बात के स्वीकार त करही के पडी कि भारत के विज्ञान कब्बो एतना विकसित जरुर रहल ह कि जीव के अतीत के बारे में लोग जानि जात रहे। ध्यान आ योग के परम्परा इहाँ एतना पुष्ट रहल ह कि लोग ध्यान के माध्यम से एक दुसरे से संवाद भी क लेत रहे। लेकिन ना जाने कहाँ से अइसन बयार बहल कि ऊ सज्जी ग्यान विग्यान पर धुरि पडि गइल। आजु मेट्रो सिटी में पैदा भइल लइका आ लइकनि से अगर बतावल जाँ की हमनी के कुँआ से पानी निकाल के पियल जात रहे आ हमन सब के गाँव में खूब बडवर बडवर बगईचा रहे त वो चीज पर लोगन के सहज रूप से विस्वास ना होई। काहे से कि ऊ लोग ना एतना बडवर बगईचा देखले बा आ ना कुँआ।

कादम्बरी के कथा में भी एक जगही आवेला जब जबालि मुनि एगो सुग्गा के वर्तमान दुर्गति देखि के ओकरे दुर्गति के कारण ओकरे अतीत के अशिष्ट आचरण बतावेलें आ ओकरे बाद अपने शिष्य लोगन के ओ सुग्गा के पिछले जनम के पूरा वृतांत बतावेलें। जाबलि मुनि अइसन रहें कि सामने पड़ल लोगन के देखला भर से ही उनके आयु सँख्या तक बता दें।

एही तरे पार्वती के बारे में महाकवि कालिदास लिखत बाने की पढ़त के ऊ पूर्वजन्म के संस्कार से सब विद्या बहुत जल्दी आ असानी से सीखि लिहली।

स्थिरोपदेशामुपदेशकाले प्रपेदिरे प्राक्तनजन्मविद्याः

हमनियो के जीवन काल में ए तरह के देखे के मिलेला की केहू केहू के कवनो सुख सुविधा नाही मिलेला तब्बो ऊ बहुत मेधावी निकलेलें। ई सब पूर्वजन्म के संस्कार के कारण ही होला। काहे से कि जीव जब ले शरीर में रहेला वो शरीर से कइल संस्कार के प्रभाव अत्मा पर पड़ेला आ अगला जनम में भी ओकरे ऊपर पिछ्ला संस्कार के असर जरूर रहेला।

श्रीमद्भावत-महापुराण में प्रसंग आवेला जब एगो ब्राम्हण के संतान नाही भइले के दुख से पीड़ित देखि के एगो संयासी उनकर दुख के बारे में पूछलें आ उनकर दुख सुनि के उनकर प्रारब्ध देखि के कहेलें कि अगला सात जनम तक ऊ ब्राम्हण संतान के सुखि नाही पावे वाला बाने।

ए तरह के केतना कुछ अपने इहाँ के ग्रंथन में वर्णित कइल गइल बा, ऊ सब निराधार नाही बा। बस अंतर अतने बा कि तब के समय में लोग पशुवत केवल देहिए ले सिमित नाही रहे बल्कि देहि से ऊपर उठि के आत्मा तक पहुँचल रहे।

विज्ञान कहेला कि उर्जा कब्बो नष्ट ना होला। विज्ञान के भाषा में जवने के उर्जा कहि के आपन बाति कहल गइल बा ओहि के अपने इहाँ आत्मा कही के वर्णित कइल गइल बा।

श्रीमद्बगवद्गीता के द्वितीय अध्याय में पुनर्जन्म के पूरा पूरा प्रमाण बा-

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ॥

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