आलेख
रजनी रंजन
जन्म आ मृत्यु जीवन के आरंभ और अंत के संकेतक ह आ चाहे ई भी कहल जा सकता कि ईश्वर के सिरिजन के पहिलका प्रतिफल ह। पुरुष आ प्रकृति ई दुनों चेतन तत्व के रूप में आइल। एही आवाजाही के जन्म आ मृत्यु नाम पड़ल। चित्त मन के ही एगो अंग होला जवना में आपन सभे संस्कार, आ भाव के संग्रह होखेला। ई चित्त सत्त्वगुण, रजोगुण, और तमोगुण से मिलके बनल एगो पदार्थ ह। जेकरा से चित्त तीन प्रकार के स्वभाव वाला ( प्रकाशशील, गतिशील, और स्थैर्यशील ) अर्थात त्रिगुणात्मक हो जाला। इहे तीन तरही स्वभाव के कारण चित्त के तीन रूप देखल गइल। बाकिर इ सभे गुण तबे उपराला जब कवनो कारक के भीतर प्राण होला। प्राण बिधना के अद्भुत अनुपम सृजन के मुख्य तत्व कहाला।
जन्म नियन्ता के रोपल बीज ह जे फुटत, फुलात आ बढत पाक जाला फेर ओकर कटाई मृत्यु के प्रतीक रूप में देखल जा सकेला। कवनो चीज के जन्म एगो खास उद्देश्य के निमित्त बा। धरती पर मानुष के शरीर निष्क्रिय आ आत्मा के सक्रिय आ सूक्ष्म जीव के रुप में बतावल गइल बा। तन भगवान के सिरिजन के आकार मात्र ह ओहिमे प्राण के प्रतिष्ठा करके भगवान ओकर डोर अपना हाथे राख के ऊ नियंत्रक बन गइलन तबहियें से मानुष के आवागमन उनुके हाथ में बा। सूक्ष्म शरीर आ स्थूल शरीर के मेल से जन्म होखेला आ स्थूल शरीर नाशवान ह, एह से ऊ एक नियत समय पर नष्ट हो जाला बाकिर ओकरा में रहेवाला सूक्ष्म जीव शरीर छोड़ के दोसर शरीर में घुस जाले।
जनम के जाति भी कहल जाला। वनस्पति जाति, पशु जाति, पक्षी जाति, मानव जाति आदि। कर्म के पक्ष अनुसार जीवात्मा जे शरीर में प्रवेश करेला उहे जाति ओकर तय हो जाला।
अब जीवात्मा जब शरीर के त्याग देवेला तब शरीर निष्क्रिय अवस्था में हो जाला आ ओकर कौनो कीमत ना होखेला एहीं से ओकरा के जरा के, दफना के आ चाहे कवनो जानवर के क्षुधापूर्ति खातिर ओकरा के कवनो सुनसान जगह पर फेंक दिहल जाला। कहे के मतलब इ बा कि सूक्ष्मजीउवे प्राण ह आ ओकरा बिना जीवन कहाँ? मृत्यु ही जीवन के क्षय करके कवनो नूतन भ्रूण के अंश बनेला। ई टूटल आ जुड़ल कड़ी के पुनर्जन्म से जोड़के देखल जाला।
खैर, जे भी होखे, विज्ञान ई मानेला कि बिग-बैंग सिद्धांत भी वैदिक संहिता के ही आधार पर बनल बा आ जीव के रचना डार्विन के सिद्धांत के आधार पर मानल जाय त निर्जीव पदार्थ से सजीव पदार्थ के जनम भइल।
डार्विन जीव के उत्पत्ति में ईश्वर के भूमिका के नकारत कहलें कि ( एक फरवरी 1871 के जोसेफ डाल्टन हूकर के लिखल पत्र में ) अमोनिया, फास्फोरस आदि लवण मेसल गर्म पानी के कवनो गड़हा में, प्रकाश, ऊष्मा, विद्युत आदि के प्रभाव से, निर्जीव पदार्थ से पहिले पहिल जीव के उत्पत्ति भइल होई। बाकिर आज एहू पर शंका वैज्ञानिक लोग कर रहल बा। बहरहाल खोज चल रहल बा। रोजे कुछ ना कुछ नया जानकारी मिल रहल बा। परिणाम भी मिलिये जाई। बाकिर ईश्वरीय शक्ति के सभे मानेला।
कुछ कहन्ती भी बा जवना में जीव के जनम कइसे भइल? पर कहन्ती प्रमाणिक ना होखेला। एह से एहपर चरचा करके कवनो निष्कर्ष ना मिली।