डा0 सुनील कुमार उपाध्याय
सांस चलला के नांव जिनगी आ सांस बंद त मृत्यु (मुअल)। ई त भौतिक जगत के विधान ह। अपना देष के प्रसि़˜ संत स्वामी विवेकानंद जी लिखले बानी कि जौने दिन आदमी के जिज्ञासा खतम हो जाला ओही दिन आदमी मर जाला। हमनी के शास्त्र कहता कि मृत्यु त रूपान्तरण भा देह परिवर्तन के अवस्था ह। आत्मा अजर अमर ह। ना आग जला सकेले, ना हवा सुखा सकेले ना कौनो शस्त्र काट सकेला। आत्मा पुरान वस्त्र त्याग के नया वस्त्र धारण करेले। आदमी कहंवा से आवेला आ मुअला का बाद कहंवा जाला एकरा बारे मे अलग – अलग धर्म सम्प्रदाय के अलग अलग मत। मुअला का बाद कहीं जलावल जाला ज कहीं दफनावल जाला।
ई भौतिक जगत मे दुइए गो चीज मूल मे बा पदार्थ ;उंजजमतद्ध आ ऊर्जा। दुनु एक दूसरा में रूपान्तरित हो सकेला, आईंस्टीन के सूत्र ;म्त्र Δउब2 द्ध से ई बात दरषावल गईल बा। हर भौतिक पदार्थ में द्रव्यमान होला जवन गॉड पार्टिकल के उपस्थिति के कारण होला। जईसे कहल जाला कि भगवान कण- कण में विद्यमान बानी बोइसही गॉड पार्टिकल ( हिग्स बोसोन) कण कण में बा। हमनी के देष के प्रसिद्व भौतिक शास्त्री डा0 सत्येन्द्र नाथ बोस जी के नाम एह पार्टिकल से जुडल बा। षव में इ जुडले पर ऊ षिव बनेला ( इ ़ शव त्र षिव) शव माने मुर्दा भा पदार्थ। ओमे ऊर्जा जोडला पर ही उ क्रियाषील रहेला। शरीर से आत्म ऊर्जा निकलला पर ऊ पदार्थ यानि शव हो जाला।
प्रसि˜ दार्षनिक ओषो लिखले बाड़े कि मृत्यु भी एगो उत्सव होले। हमनी का अपना परिजन के मुअला पर भले दुखी होई पर जीव का नया वस्त्र मिलला के खुषी होला। आत्म ज्ञान भईला का बाद मृत्यु से भय खतम हो जाला। शुकदेव जी जब राजा परीक्षित के भागवत सुनवनी त उनकर भय खतम हो गईल। भागवत में बारह अध्याय ( स्कंध) बा। शुरू के चार को शोक दूर करेके उपाय बा ( भूत काल )बीच वाला चार गो मोह ( वर्तमान काल ) दूर करेला आ अंतिम चार गो अध्याय भय ( भविष्य काल) दूर करेला। आदमी चौरासी लाख योनी में भरमेला। मानव योनी बडा भाग्य से मिलेला। जेकरा आवागमन के मरम मालूम हो जाला ऊ मृत्यु से भयभीत ना होला। भौतिक शरीर चाहे जरावल जाव चाहे दफनावल जाव एकरा से आत्मा के कवनो लेना देना नइखे।
जीवन -मृत्यु सापेक्ष शब्द बा यदि सांस चलला के नांव जिनगी ह त कौमा में तीन, चार साल से परल आदमी के का कहल जाइ। ऊ त मुअले समान बा। दोसरा तरफ गांधी जी, उस्ताद बिस्मिला खान, अटल जी, ए0 पी0 जे अब्दुल कलाम जी,सी0 बी0 रमन जी, सकिल बदायुनी जी, भिखारी ठाकुर जी, मेहेन्द्र मिसिर जी, पाण्डेय कपिल जी, भोलानाथ गहमरी जी लोग का कब˜ मरिहें । इ लोग हमेषा जिन्दा बा। विज्ञान में, दर्षन में, गीत में संगीत में ई लोग हमेषा जिन्दा बा। कुरूक्षेत्र के मैदान में अर्जुन के मोह दूर करत भगवान श्री कृष्ण जी कहनी कि मारे वाला आ बचावे वाला दूनू हमही हई। तू काहे परेषान बाड़। जयद्रथ बध के समय भी अर्जुन के समझावनी कि ई तहार पुत्र, पूर्व जनम में कभी तहार बाप भी रहल बा। जन्म जन्मातर के ई चक्र बा।
बीग बैग ; ठपह दृ ठंदह द्ध आ बीग क्रंच ; ठपह दृ ब्ीतंदबीद्ध के खेल प्रकृित में चल रहल बा। अंडा के फंडा आज तक ना पता चलल । जीवन – मृत्यु के मरम जे समझ जाला ओकरा खातिर जीवन आ मृत्यु शोक के विषय ना रह जाला।