आर.के. सिन्ह
सायरस मिस्त्री के मौत से भारत के आम जन आ कॉर्पोरेट संसार हिल सा गइल बा। मिस्त्री चमक-धमक से दूर रहे वाला, एक सज्जन, प्रतिभाशाली आ गर्मजोशी से भरल मनुष्य रहले। मिस्त्री अपना पीढ़ी के श्रेष्ठ व्यावसायिक प्रतिभा में से एक आ बेहद सज्जन किस्म के व्यक्ति रहले। उनकर वैश्विक दिग्गज कंपनी शापुरजी-पालनजी पालोंजी के खड़ा करे में अहम योगदान रहे। सायरस मिस्त्री में नेतृत्व के पर्याप्त गुण रहे।
सारयस मिस्त्री के हादसा के शिकार भइला के बाद ई सवाल फेर से अहम हो गइल बा कि अपना देश के सड़क आ हाईवे कब जाके पूर्ण रूप से सुरक्षित होई। हर साल देश में लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा लोग सड़क हादसा के शिकार हो जाला। सड़कन पर अराजकता के त खत्म करहीं के होई। एकरा अलावे कवनो दोसर रास्ता नइखे बाँचल। … हम समझतानी कि देश के उर्जावान परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी दुर्घटनन के नियंत्रण खातिर अवश्य ही कवनो ठोस आ सख्त कदम उठइहें I
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमेन सायरस मिस्त्री के सड़क हादसा में अकाल मृत्यु से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा, मशहूर कलाकार जसपाल भट्टी आ कांग्रेस के नेता राजेश पायलट अउर मोदी सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री गोपीनाथ मुंडे के सड़क हादसा के इयाद आइल स्वाभाविके बा। ई सब सड़क हादसा के ही शिकार भइल। अभी त ये लोग के देश के बहुत कुछ देवे के रहे। सायरस मिस्त्री के मौत से भारत के आम जन आ कॉर्पोरेट संसार हिल सा गइल बा। मिस्त्री चमक-धमक से दूर रहे वाला, एक सज्जन, प्रतिभाशाली आ गर्मजोशी से भरल मनुष्य रहले। मिस्त्री अपना पीढ़ी के श्रेष्ठ व्यावसायिक प्रतिभा में से एक आ बेहद सज्जन किस्म के व्यक्ति रहले। उनकर वैश्विक दिग्गज कंपनी शापुरजी-पालनजी पालोंजी के खड़ा करे में अहम योगदान रहे। सायरस मिस्त्री में नेतृत्व के पर्याप्त गुण रहे। उनहीं के सरपरस्ती में शापुरजी-पालनजी मिस्त्री ग्रुप इंफ्रास्ट्रक्टर क्षेत्र के अनेक बड़ प्रोजेक्ट देश आ देश से बाहर पूरा करत रहे। राजधानी में प्रगति मैदान के भी उनहीं के कंपनी फेर से नया ढंग से तैयार करत रहल ह। ऊ लंदन से सिविल इंजीनियरिंग के ड्रिगी भी ले ले रहलन। एकर उनका अपना बिजनेस के गति देवे में भरपूर लाभ भी मिलत रहल ह।
हो सकता कि ई जानकरी सबका ना होखे कि सायरस मिस्त्री के दादा ही मशहूर फिल्म मुगले आजम जइसन बड़हन पिक्चर के निर्माता रहले। ऊ ओकरा निर्माण में भरपूर इनवेस्ट कइले रहलन। ई बात अलग बा कि ना त सायरस मिस्त्री ना ही उनके पिता पालानजी मिस्त्री फिल्म निर्माण में कवनो दिलचस्पी देखवलन। अरबों के चल-अचल संपत्ति भइला पर भी सायरस मिस्त्री के लाइफ स्टाइल काफी सादगी से भरल रहल। ऊ अपना घर के निर्माण में अरबों रुपया खर्च ना करत रहले। ऊ कामे भर से मतलब रखत रहले। ऊ एक बाकी उद्योगपति के तरह उद्योगपति सबके संगठन सीआईआई या फिक्की से भी सक्रिय रूप से ना जुड़ल रहले। उनकर कवनो सियासी दल से भी कवनो सीधा संबंध ना रहे। कह सकीलें कि ऊ एक गैर-राजनीतिक इंसान रहले। उनकर सारा फोकस अपना बिजनेस पर ही रहत रहे। अभी पिछला 3 जून के ही त उनके वयोवृद्ध पिता के निधन भइल रहे।
सायरस मिस्त्री के भारत तब जनलस जब उनका रतन टाटा के बाद टाटा ग्रुप के चेयरमेनशिप मिलल। ऊ टाटा ग्रुप के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में अब बइठत रहले। ई साल 2012 के बात ह। लेकिन, ऊ टाटा ग्रुप के चेयरमेन ये खातिर बनलन काहे कि उनका परिवार के स्वामित्व वाला ग्रुप शापुरजी-पालनजी के टाटा सन्स में टाटा परिवार के बाद सर्वाधिक शेयरहोल्डिंग रहे। उनका के टाटा ग्रुप के पहिला चेयरमेन बनवावे आ फेर ओ पद से हटवावे में रतन टाटा के ही भूमिका रहे। उनका बाद एन. चंद्रशेखरन टाटा ग्रुप के चेयरमेन बनलन। ऊ टाटा ग्रुप के पहिला गैर-पारसी चेयरमेन रहलन। कुछ ओही तरह से जइसे मिस्त्री पहिला गैर टाटा रहलन, टाटा ग्रुप के चेयरमेन।
सायरस मिस्त्री के टाटा सन्स के बोर्ड में 2006 में शामिल भइला के बाद से ही रतन टाटा के साथ विवाद शुरू हो गइल रहे। कहल जाला कि विवाद के मूल में कारण ई रहे कि सायरस मिस्त्री चाहत रहलन कि टाटा ग्रुप अपना लाभ के जवन हिस्सा परोपकारी कार्यन में लगावेला, ओपर लगाम लगावे। रतन टाटा ये राय के ना मानत रहलन। ऊ मानस कि टाटा ग्रुप अपना मूल लक्ष्य से दूर नइखे जा सकत। ऊ राष्ट्र निर्माण में आपन अहम भूमिका निभावत रही। एमे कवनो शक नइखे कि टाटा ग्रुप भारत में विज्ञान अउर शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देले बा। सायरस मिस्त्री आ रतन टाटा के रास्ता थोड़ा सा अलग-अलग रहे। इहाँ ऊ हवा के रुख ना समझ सकले। बहरहाल, सायरस मिस्त्री के इ चिंता रहे कि टाटा ग्रुप के टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ( टीसीएस आ टाटा स्टील ) के छोड़ के चूँकि अधिकतर कंपनी घाटा में बा, चाहे पर्याप्त लाभ नइखे कमात, एसे ओह सबके गति देहल जाए। ई साँच भी बा कि टाटा ग्रुप के ताकत त टीसीएस ही बा। टाटा ग्रुप के कुल मुनाफ़ा के बड़ हिस्सा टीसीएस ही कमाला। कहल त इहो तक जाला कि सायरस मिस्त्री नैनों कार के प्रोजेक्ट में बड़हन निवेश से भी नाखुश रहले। ऊ मानत रहले कि नैनो के टाटा ग्रुप बहुत देर से लांच कइलस। एसे टाटा ग्रुप के कवनो खास लाभ ना भइल। उनका नैनो प्रोजेक्ट पर सवाल खड़ा कइल रतन टाटा पर सीधे हमला कइला के बराबर रहे। आखिर नैनो रतन टाटा के दिल करीब के प्रोजेक्ट रहे। ऊ एसे भावनात्मक रूप से जुड़ल रहलन।
एही बीच, सारयस मिस्त्री के हादसा के शिकार भइला के बाद ई सवाल फेर से अहम हो गइल बा कि अपना देश के सड़क आ हाईवे कब जाके पूर्ण रूप से सुरक्षित होई। हर साल देश में लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा लोग सड़क हादसा के शिकार हो जाला। सड़कन पर अराजकता के त खत्म करहीं के होई। एकरा अलावे कवनो दोसर रास्ता नइखे बाँचल।
सड़क हादसन के शिकार होखे वाला में 50 फीसद 14 से 35 साल के उम्र के लोग ही होला। एमे से बहुत सारा अपना परिवार के एकमात्र कमाये वाला सदस्य रहेलन चाहे रहलन। ओइसे त सड़क हादसा के तमाम कारण गिनावल बा। पर तेज रफ्तार से वाहन चलावल सबसे लमहर कारण बा। अभी साफ नइखे कि जवना मर्सडीज कार में सायरस मिस्त्री सवार रहलन, ऊ केतना के स्पीड से चलत रहे। रफ्तार पर नियत्रंण त करे के होई। तेज वाहन चलावे वालन पर कठोर दंड लगावे के चाहीं। समझ ना आवे कि कार आ दोसर वाहन चालक अनाप-शनाप गति से अपना वाहन के काहे दउरावेलन। ई लोग लेन ड्राइविंग में यकीन ना करेला। ई लोग हमेशा ओवरटेक करे के फिराक में रहेला। सड़क हादसा में ना जाने केतने लोग जीवन भर खातिर विकलांग हो जाला, एकर त कहीं से कभी कवनो आंकड़ा मिल ही नइखे सकत।
सायरस मिस्त्री के निधन से दू बात सीखल जा सकता। पहिला, कइसे कवनो कारोबारी मीडिया के सुर्खी से दूर रह के काम करे। दूसर, देश के अपना सड़कन के सुरक्षित बनाने के ठोस उपाय करे के होई।
हमरा अइसन लागता कि साइरस के कार उनका महिला मित्र के जगही कवनो पेशेवर ड्राइवर चलावत रहित त बेहतर रहित I चलीं, अब त जवन होखे के रहे हो गइल I लेकिन, हम समझतानी कि देश के उर्जावान परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी दुर्घटनन के नियंत्रण खातिर अवश्य ही कवनो ठोस आ सख्त कदम उठइहें I
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार अउर पूर्व सांसद हईं)