भोजपुरी प्रकाशन के सइ बरिस

February 13, 2023
पुस्तक समीक्षा
0

पुस्तक-समीक्षा
डॉ. शंकर मुनि राय ‘ गड़बड़’

पुस्तक: भोजपुरी प्रकाशन के सइ बरिस
संपादक: पं. गणेश चौबे
विधा: साहित्य संकलन
प्रकाशक : भोजपुरी अकादमी, पटना
प्रकाशक वर्ष: अगस्त 1983
पृष्ठ: २००
मूल्य: बीस रूपया

भोजपुरी अकादमी पटना से १९८३ में छपल ई किताब भोजपुरी के बहुते महत्वपूर्ण प्रकाशन ह. ई एगो सम्पादित किताब ह. एकर सम्पादन कइले रही पंडित गणेश चौबे जी. चौबेजी भोजपुरी के लोकसाहित्य सहित एकरा अउरी कई गो विधा के मर्मज्ञ-विद्वान रहीं. जवना घरी लोग कहत रहे कि भोजपुरी के साहित्य बहुते कमजोर बा आ एकरा में पढ़े जुगुत कवनो साहित्य नइखे, ओह घरी चौबे जी लोग के ई बतावे के कोशिश कइनी कि लोग बहुते भरम में बा.

पिछिला एक सव साल में भोजपुरी के जतना किताब छपल रही सन ओह सब के खोजबीन कर के एह किताब में जानकारी दिहल गइल बा. कवन किताब के, कहवाँ से लिखल, छपवावल, कतना दाम रहे आ ओह किताब में का बा, ई सब जानकारी एह किताब में दिहल गइल बा. जब ई किताब छपल आ लोग देखल तब बुझाइल कि भोजपुरी में कतना साहित्यिक काम भइल बा. बहुते लोग के भरम दूर भइल एह किताब के छपला से. जे लोग अपना के बहुते बड़हन लेखक आ साहित्य सेवी मानत रहे, ओहू लोग के बुझा गइल कि भोजपुरी भाषा-साहित्य आ संस्कृति के बारे में सोचे-विचारे वाला लोग पहिलहीं से लागल बा.

एह सम्पादित किताब में १८८२ से लेके १९८२ तक भोजपुरी लोकभाषा, साहित्य आ संस्कृति में जतना लिखित काम भइल रहे ओह सब से परिचयात्मक जानकारी दिहल गइल बा. सम्पादन के दिसाईं एह किताब के विधावार कुल्ह ११ हिस्सा में बाँटल गइल बा, जइसे कि काव्य-साहित्य, कथा-साहित्य, नाटक, निबंध साहित्य, पाठ्य-पुस्तक, शब्दकोश, व्याकरण आ भाषाविज्ञान, रस , छंद, अलंकार आ साहित्यशास्त्र, पत्र-पत्रिका, लोकसाहित्य आ परिशिष्ट.

एह किताब के अइला से सबसे ज्यादा लाभ भोजपुरी भाषा, साहित्य आ संस्कृति में अनुसंधान करे वाला विद्यार्थी लोग के मिलल. हालांकि किताब पहिले से छपत रही सन, बाकिर ओकरा बारे में जानकारी ना मिल पावत रहे. एह विचार से ई किताब एक तरह से ‘भोजपुरी लाइब्रेरी’ बनके सामने आइल. एह किताब के ऐतिहासिक पृष्ठ बे बात कइल जाव त इहो बात सामने आई कि भोजपुरी में साहित्य सम्पादन के काम कइसे भइल. एह से पहिले भोजपुरी में लोकसाहित्य के संकलन आ सम्पादन के काम होत रहे, बाकिर ई किताब एह विचार से सबसे बड़हन सम्पादन रहे.

एह किताब के शुरुआत में ‘अकादमी के और से’ अकादमी के निदेशक हवलदार त्रिपाठी ‘सहृदय’ जी लिखले बानी–
“जवन ग्रन्थ-सूची अपने सभे के हाथ में बा, ई पहिलहूं हिंदी भाषा में अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन से छपल रहे. ओही सूची के विस्तार कइल रूप ई सूची ह, जवन ब्योरेवार ढंग से तइयार कराके आ छूटल-भुलल पोथियन के नांव जोड़ि के तइयार कइल गइल बा. एह सूची से बिसेस फायदा ओह लोग के होई, जे भोजपुरी भाषा-साहित्य में सोध आ खोज कइल चाह्ताड़े. एह ग्रन्थ-सूची से ओइसनो लोग के आँखि खुली, जे कहेलन कि भोजपुरी में कहाँ कुछुवो साहित्य बा?”

भोजपुरी के लिखितंग इतिहास के नजर से देखल जाव त एह किताब से पता चल जाता कि भोजपुरी के कवना विधा के पहिली किताब के लिखले रहे आ कहवाँ से छपल रहे. उदाहरण खारित भोजपुरी कविता के पहिलकी किताब जवन छपल रहे ऊ रहे ‘सुधाबुन्द’. महाराजा लाला खङ्ग बहादुर मल्ल के लिखल ई किताब जवन खङ्ग बिलास प्रेस, बांकीपुर से छपल रहे ओकरा बारे में लिखल बा कि जार्ज ग्रियर्सन एकरा बारे में लिखले बाड़न कि ई किताब १८८४ में छपल रहे. बाकिर पंडित गणेश चौबे जी के कहनाम बा कि ग्रियर्सन जी के किताब में ई तिथि गलती से छपा गइल होई. उहाँ के लिखतानी–
“लेखक स्वर्गीय दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह ‘नाथ’ के पास एह पुस्तक के एगो नकल देखले रहस जवना में एकरा छपे के समय १८८२ ई. लिखल रहे. रचइता मझौली के राजा रहन. ओह जुग में लोक संगीत के लोक भाषा में रचे के परिपाटी रहे. अब तक जेतना जानकारी बाटे एकरा आधार पर इहे कहल जा सकेला कि ई भोजपुरी के पहिलका छपल पुस्तक बाटे.”

एही तरे एह किताब में भोजपुरी के पहिलका गजल संग्रह ‘बदमाश दर्पण’ (१८९५ ), पहिलका महाकाव्य ‘कुंवर सिंह (१९५७), पहिलका खंडकाव्य ‘बलिदानी बलिया’ (१९४२), पहिलका हास्य-व्यंग्य ‘भोकास’ १९५६), पहिलका संस्कृत के भोजपुरी अनुवाद ‘बदरऊ’ (१९५४), पहिलका गद्य गीत ‘जोत कुहासा के’ (१९७६), चम्पू काव्य ‘बाबू कुंवर सिंह’ (१९६०), भोजपुरी उपन्यास ‘बिंदिया’ (१९५६), कहानी संग्रह ‘जेहल के सनद’ (१९४८), भोजपुरी नाटक ‘बाबू कुंवर सिंह (१९६२), एकांकी ‘सुदेसिया नाटक’ (१९४०), प्रहसन ‘सिव टहल काका’ (१९८०), रेडियो रूपक ‘लोहा सिंह (१९५५), अंग्रेजी नाटक अनुवाद ‘अब्राहम लिंकन’ (१९७९), लोक नाटक ‘भिखारी ठाकुर ग्रंथावली, पहिला खंड (१९७९), निबंध संग्रह ‘भोजपुरी संगम (१९६२), रेखाचित्र ‘चतुरी चाचा की चटपटी चिठ्ठियां’ (१९५७), ललित निबंध ‘के कहल चुनरी रंगा ल’ (१९६८), समीक्षा ‘रामकाव्य परम्परा में मानस’ (१९७६), ‘भोजपुरी शब्द कोश’ (१९४०), पत्रिका ‘बगसर समाचार (१९१८), पहिला लोकगीत संग्रह ‘भोजपुरी ग्राम गीत’ (१९४३), लोककथा संग्रह ‘सरवरिया’ (१९१३), ‘कहावत कोश’ (१९६५), पहेली ‘भोजपुरी पहेलियाँ’ (१९६९) बतवल गइल बा .

कुल्ह २०० पेज के एह सम्पादित किताब में भोजपुरी के बारे में अंग्रेजियो में लिखल किताबन के उल्लेख बा. बतावल जरुरी बा कि एह किताब में ‘फुटपथिया’ साहित्य के उल्लेख नइखे. ई बहुते उपयोगी किताब बा. भोजपुरी भाषा आ साहित्य, संस्कृति के बारे हिंदी में जवन अध्ययन आ अनुसंधान के काम हिंदी में भइल रहे आ हिंदी में प्रकाशित रहे ओकरो बारे में जानकारी दिहल गइल बा. जैसे कि –‘भोजपुरी लोकगाथा.’ एकर सम्पादन १९५७ में डॉ. सत्यव्रत सिन्हा जी कइले रहीं. एहमे भोजपुरी के बड़हन-बड़हन लोकगाथा के अध्ययन भइल बा. ई पीएचडी के शोध प्रबंध ह. १९५८ में छपल ‘लोक साहित्य की भूमिका’ किताब डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय जी के ह, जवना में भोजपुरी के लोक साहित्य के हिंदी में विवेचना बाटे. वैजनाथ सिंह विनोद के किताब ‘भोजपुरी लोक साहित्य : एक अध्ययन १९५८ में छपल रहे एहमें भोजपुरी क्षेत्र के इतिहास, भोजपुरी आ ओकर विभाषा , लोकगाथा, लोककथा, संस्कारगीत, व्रत-त्यौहार, ऋतुगीत, राष्ट्रीय गीत, कहावत आ पहेली के संक्षेप में विवरण बा. एह किताब के भूमिका डॉ. धीरेन्द्र वर्मा जी लिखले बानी.

‘भोजपुरी लोक साहित्य का अध्ययन कृष्ण्देव उपाध्याय जी के मशहूर किताब १९६० में छपल रहे जवन पीएचडी के थीसिस रहे. एही तरे डॉ. श्रीधर मिश्र के किताब ‘भोजपुरी लोकगीतों के विविध रूप, आ फेर ‘भोजपुरी लोकसाहित्य के सांस्कृतिक अध्ययन’ किताबन के बारे में जानकारी बा. भोजपुरी पर विदेशी भाषा में लिखल किताब अल्फबेटाम ब्रह्मनिकम सिउ इन्दोस्तानम उनवर्सिटिटिस,(रोम १९७१) नोट्स ऑन द भोजपुरी डायलेक्स ऑफ़ हिंदी ऐस स्पोकन इन वेस्टर्न बिहार, ए ग्रामर ऑफ़ द हिंदी लैंग्वेज,बिहारी लैंग्वेजेज आदि बिसहन ऐतिहासिक किताबन के बारे में जानकारी देबेवाला चौबे जी के ई सम्पादित किताब भोजपुरी प्रकाशन के अनमोल धरोहर बा.

परिचय- डॉ. शंकर मुनि राय ‘ गड़बड़’ – हिंदी आ भोजपुरी के प्रतिष्ठित लेखक, समीक्षक आ व्यंग्यकार। भोजपुरी साहित्य में हास्य-व्यंग्य पर पीएचडी आ भोजपुरी लोक साहित्य में यूजीसी परियोजना कार्य। डेढ़ दर्जन किताबन के लिखवयिया, आकाशवाणी आ दूरदर्शन से कविता कहानी आ व्यंग्य पाठ। विभागाध्यक्ष-हिंदी आ शोध निर्देशक, शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव (छत्तीसगढ़।

Hey, like this? Why not share it with a buddy?

Related Posts

Leave a Comment

Laest News

@2022 – All Right Reserved. Designed and Developed by Bhojpuri Junction