बहुते मनगर अंक सोझा आइल बा
राम भारत के लोक, लोक के मरम आ लोक के धरम के पहिचान हवे। लोक के मनोबिग्यान प जइसन पकड़ राम के बा ओइसन करेड़ पकड़ आउर कवनो महापुरुख के नइखे बनल।
भोजपुरिआ समाज में राम के सगुन रूप प निरगुन रूप आ भाव के ढेर भारी जोर रहल बा। चइती के ‘रामाs’ में गवनई के टेक से बड़हन साल के पहिल मास प आमजन के हुलास के भाव अधिका बा, जहँवाँ लोक के राम से अटूट अपनापा के भाव उजागर हो रहल बा।
ब्रजभूषण भाईजी के आलेख भोजपुरी साहित्य में राम के बिसद रूप में भइल चरचा प एगो संग्रहणीय आलेख बा। सचकी ब्रजभूषण भाई के गहिर अध्ययन के नमूना बा ई आलेख। आगा संध्याजी आ प्रेमशीलाजी अइसन बिदूसी महिला लेखिका लोगन के पढ़ल एगो बिसेस अनुभव अस भइल।
नीमन लागल बुद्धिनाथ मिश्रजी के मैथिली गीत पढ़ि के। आन्ह भासा के रचनन के जगहि दीहल ‘हम भोजपुरिआ‘ के चाकर करेजा के निसानी बड़ुए। आउर सभ रचनन प हमार साधुवाद बा।
बहुते मनगर अंक सोझा आइल बा, मनोज भावुक जी। हमरा ई सँकारे में इचिको संदेह नइखे जे राउर ललित-मन के झाँकी रउरा संपादन में उलिचा के बहिराता।
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सौरभ पाण्डेय, प्रयागराज
‘हम भोजपुरिआ’ के कवनो सानी नइखे
आज काल्ह नया-नया लोग कुछुओ लिखSता आ कुछुओ छापत बा बाकिर जवन शोध के काम बा ऊ सभ केहू के बस के बात नइखे। हम भोजपुरिआ आपना पहिलके अंक में कतना शोध कइले बा ई रउआ पहिलके अंक गाधी विशेषांक पढ़ला प खुदे बुझा जाई तबो हम कुछ विशेष बतावत बानी फेर दुसरा अंक के तरफ रूख करब। त गांधी अंक के खास विशेषता बा गांधी के बारे में अइसन जानकारी जे बिहार के लोग बहुते कम जानत होई। अइसन अइसन विषय के चर्चा बा साथे बिहार के जवन चार गो भाषा बा भोजपुरी, मगही, मैथिली आ हिन्दी जे सभे समझे बोलेला आम मुद्दा के लेके जवन गीत एह चारो भाषा में बा ऊ सराहनीय बा। कविता भी एक से एक बा। बाकि सभ हमहीं बता देब त रउआ पढ़े में इंट्रेस्ट खत्म हो जाई। एह से आगे रउआ पढ़ी आ बताई। अब बात दुसरका अंक प्रेम अंक कह ली भा वंसत अंक। शहर आ गांव के जवन छौंक एमें दिहल गइल बा, ऊ कमाल के बा। आज काल के फैसन के आ पुरनका दौर के जवन मिश्रण भइल बा एमें ऊ एगो अलगे समा बान्ह लेले बा। फ्रांसीसी प्रेम कहानी अइसन बा जेकरा के पढ़त में हम डूब गइनी ओकर प्रेम कहानी साक्षात् सामने फिल्माकंन करे लगली अतना मार्मिक रहे। प्रेम अंक नीमन लागल। अगिला अंक, होली अंक जोगीरारासारारारा…वाह फागुन के जवन रंग शब्दन में बिखरल बा ऊ वाकई लाजवाब बा। संध्या जी अपना लेख में परदेशी लोगन के दर्द के बड़ा मार्मिकता से दर्शवले बानी। शहर में कहंवा गोल बनता जी? ओपर से एह बेर त कोरोना होलिए खा गइल…बाकिर होली में जवन मजा गांव में बा ऊ शहर में कहां पढ़ के गांव के खेलल होली आंख के सोझा लउके लागल…पुरान याद ताजा हो गइल। चउथा अंक चइत के महीना प एकदम फिट बइठत बा। महेदर मिसिर के गीत जवन हमनी के लइकाई में सुनत रहनी ह स ऊ गीत के ताजा क देहनी। पढ़ला के बाद यूट्यूब प गीत खोज के सुने प मजबूर हो गइनी हम। बिस्मिल्लहा खां के भी याद ताजा हो गइल। आजकल के केकरा के याद करता जी ? हम भोजपुरिआ भूलल-बिसरल केतना याद ताजा करत बा। अब अगिला अंक लोक में राम सोझा बा। पढ़ लेम त एहू पर लिखेम।
बृजमोहन उपाध्याय
गांव- माधोपुर (एकमा) जिला छपरा