कला, साहित्य आउर संस्कृति के जीयत-जागत चेहरा बा भोजपुरी जंक्शन
भोजपुरी जंक्शन भोजपुरिया समाज के कला, साहित्य आउर संस्कृति के जीयत-जागत चेहरा बा। एकर हरेक अंक आपन खासियत राखेला। बाकिर भोजपुरी जंक्शन के 16-30 सितंबर 2020 अंक बहुत जानदार बा। एह अंक में भोजपुरी के धरोहर, चिंतक आउर लेखक आचार्य पांडेय कपिल जी पर भोजपुरी के लोकप्रिय आउर वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी जी के विश्लेषणात्मक निबंध आइल बा जवना से कपिल जी के भोजपुरी के साहित्यिक यात्रा के भरपूर जानकारी मिलत बा। साथ ही एह अंक में भोजपुरी सिनेमा के स्टार (2001- 2020) पर विवरणात्मक आलेख संपादक मनोज भावुक जी के आइल बा जवना से भोजपुरी सिनेमा के नयका दौर के कलाकारन के सोगहग जानकारी मिलत बा। नयका दौर के यात्रा मनमोहक भी बा।
अबले भोजपुरी जंक्शन में भोजपुरी साहित्यकारन के साथे-साथे भोजपुरी सिनेमा के पूरा जानकारी मिलत जात बा। भोजपुरी गीत-संगीत भी भोजपुरी के लोकप्रिय बनावे में अहम भूमिका निभवले बा। जिनगी त गीत-संगीत के जरिए ही जियल जाला। भोजपुरी के गीतकार, संगीतकार आउर गायक लोगन पर पत्रिका में लेख आई त पत्रिका के मान आऊर बढ़ी।
शहर में त अतना भीड़ बढ़त जात बा कि जिनगी रुक रहल बा। गाछ-बिरिछ के छांह सड़क पर मिलते नइखे। गाछ-बिरिछ काट-काट के फइल रास्ता बनावल जा रहल बा तबहुं बढ़त आबादी के चले खातिर रास्ता नईखे मिलत। जिनगी मुरझा रहल बा। सांस रुक रहल बा। मनई सिसक रहल बा। अब जरूरत बा गांव के तरफ लवटचले के। गांव के खेत में मिली हरियाली। बर आउर पीपर के छांह उंहवें मिली। उंहवें मिली गेहूं के सोना जइसन बाली आउर सरसो के पियर-पियर फूल जवन टूटल जियरा के खिलखिलाई। उंहवें कोइली के मीठ बोली हारल मन के तरो-ताजा कर दी भगवती प्रसाद प्रसाद द्विवेदी जी भी त “नवगीत” में गांव के तरफ चले के इशारा करत बानीं।
बधाई आउर प्रणाम।
डॉं.सत्येंद्र प्रसाद सिंह, प्रभारी प्राचार्य, हरिराम महाविद्यालय, मैरवा, सिवान
हर क्षेत्र पर आपन नजर बनवले रहेला भोजपुरी जंक्शन
भोजपुरी जंक्शन के नियमित पाठक के रूप में 16 से 31 अक्टूबर के अंक पढ़े के मिलल। सबसे पहिले त सम्पादकीय पर ही ध्यान जाला आ जाये के कारन भी बा कि ओमे बहुते समसामयिक विचार आ सुझाव पढ़े के मिलेला। अबकी सम्पादकीय में विपक्ष के नकारात्मक भूमिका पर सवाल उठावल, राहू-केतु के रूप में पड़ोसी देशन के कुप्रभाव अउर मूलभूत आवश्यकता नून रोटी के जुगाड़ आ अमन चैन खातिर माँ भगवती से गुहार बहुत प्रासंगिक लागल।
श्री आर.के.सिन्हा जी के आलेख बहुत ही उम्दा रहल काहे कि उहाँ के बिहार खातिर बड़ा ही अहम सवाल कइले बानी जेमे बिहार के विकास में निजी क्षेत्रन के नगण्य भूमिका खातिर जातिगत राजनीति के कारण बतवले बानी जवन बिल्कुल यथार्थ बा। बिहार के विकास खातिर जातिवादी राजनीति के समूल विनाश जरूरी बा, जवन एतना आसान नइखे लागत।
साहित्यिक जगत के दिवंगत पुरोधा सब पर आलेख बहुत ही सराहनीय कदम बा। भोजपुरी जंक्शन ये क्षेत्र में बहुत पहिले से सक्रिय बा।
श्री मार्कण्डेय शारदेय जी के “लोक परम्परा में माई के आराधना” में माई के संतान खातिर केतना महत्व बा, बड़ा ही सराहनीय ठंग से प्रस्तुत कइल गइल बा।
श्री उदय प्रकाश जी के कहानी “का भाई चौकी का हालचाल! बहुत ही आकर्षक आ आनन्ददायक लागल। साथ ही साथ श्री शशि सिंह जी के अफ्रीकी देश नामीबिया के हिम्बा जनजाति पर बहुत सुंदर आलेख पढ़े के मिलल। ई हर आदमी के जरूर पढ़े के चाहीं काहे कि ओ जनजाति के बारे में बहुत ही आकर्षक जानकारी दिहल गइल बा।
श्री संगीत सुभाष जी, वरिष्ठ भोजपुरी कवि, रचनाकार अउर सिरिजन ई भोजपुरी पत्रिका के मुख्य सम्पादक के गीत- “आजु हमरी दुआरी महारानी अइली” बड़ा ही मनभावन बा।
ई भोजपुरी पत्रिका यथासंभव हर क्षेत्र पर आपन नजर बनवले रहेला। हमार हार्दिक शुभकामना बा।
अखिलेश्वर मिश्र, कवि अउर साहित्यकार, बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार