‘ भोजपुरी जंक्शन ‘ के ऐतिहासिक आ सांस्कृतिक दस्तावेज
‘भोजपुरी जंक्शन’ के एने दूगो अइसन अंक आइल बा, जवन खास तौर से चरचा के मांग करत बाड़न स। पहिलका गिरमिटिया आ दोसरका दियरी-बाती-छठ अंक। एगो इतिहास रचे वाला, त दोसरका सांस्कृतिक चेतना जगावे वाला। इन्हनीं के अगर ऐतिहासिक आ सांस्कृतिक दस्तावेज कहल जाउ, त अतिशयोक्ति ना कहाई।
गिरमिटिया विशेषांक में सरिता बुद्धू, नर्वदा खेदना, पवन उपाध्याय आ मनोज भावुक के आलेख शोध-विश्लेषण करत परत दर परत गिरमिटिया मजदूरन के जद्दोजहद, अमानवीय उत्पीड़न आ सांसत सहत आस्ते-आस्ते खुद अपना हाथे तरक्की के इतिहास गढ़े आ ओह मरुभूंइ के सोनहुला बनावे के लोमहर्षक कथा कहत बाड़न स। कबो मरम के बेधे वाली दास्तान, त कबो ‘कर बँहिया बल आपनो छाड़ि विरानी आस’ के हकीकत में बदलत भोजपुरिया सुभाव के कामयाबी के कथा। ओही श्रृंखला में हरेन्द्र कुमार पाण्डेय के ‘परसागढ़’ के कहानी। कुल्हि मिलाके भोजपुरिया मनई के मन-बल आ सांस्कृतिक थाती के बदउलत एगो अजगुत दुनिया सिरिजे के ऐतिहासिक सच्चाई। आजुओ महोत्सव का जरिए ओह दिन के इयाद। नवकी पीढ़ी के त ई परीलोक के कथा लागी। सचहूं के ई यादगार अंक बनल बा, जवन पढ़े-गुने आ सहेजिके राखे लायक बा।
एकरा बाद वाला अंक लोक संस्कृति के जियतार छवि पेश करत बा आ सांस्कृतिक चेतना जगावे का दिसाईं अगहर भूमिका निबाहत बा। दियरी-बाती-छठ पर केन्द्रित एह अंक में एक ओरि छठ पर ज्योत्स्ना प्रसाद, सौरभ पाण्डेय आ मनोज भावुक के आलेख विवेचनात्मक आउर गवेषणात्मक बनि परल बाड़न स, उहवें दियरी-बाती प अखिलेश्वर मिश्र के लेख के जवाब नइखे। गीत-ग़ज़ल आउर कहानियो के मार्फत खास विषय के मद्देनजर दमदार रचनन के चयन भइल बा। संगीत सुभाष, डॉ सुनील कुमार पाठक, सुमन कुमार सिंह के गीत आ मनोज भावुक के ग़ज़ल पढ़निहारन के अभिभूत करेवाली रचना बाड़ी स। ‘तेल नेहिया के ‘(मनोज भावुक),’घर के संस्कार’ (सूर्येन्दु मिश्र)अंक के अनुरूप सकारात्मक सोच के कहानी बाड़ी स। दूनों विशेषांक के संपादकीयो सहजता आ जीवंतता से लबरेज़ बा। बिसवास बा, भोजपुरी साहित्य-संस्कृति के जंक्शन ‘भोजपुरी जंक्शन ‘के ई रचनात्मक अभियान आगहूं जारी रही आ पुरनकी-नवकी पीढ़ी के एक-दोसरा से जोड़े का दिसाईं सशक्त सिरिजना के सेतु बनत रही। हँ, एने ललित निबंध के सिरिजन कम हो रहल बा बाकिर परिचय दास जी के जवन लालित्यपूर्ण निबंध आ रहल बाड़न स, ऊ अद्भुत बाड़न स। ओही शृंखला में दीया का बहाना से उहां के ललित निबंध विशेष रूप से रेघरिआवे-जोग बा। एह किसिम के उम्दा ललित निबंध हर अंक में आवे के चाहीं ।
दूनों विशेषांक के तमाम रचनिहार आउर संपादक के दिल से बधाई!
भगवती प्रसाद द्विवेदी, शकुन्तला भवन, सीताशरण लेन, मीठापुर, पटना-800 001(बिहार)