राउर पाती

गिरमिटिया अंक एगो ऐतिहासिक अंक बा

भोजपुरी जंक्शन के  ‘ गिरमिटिया ’  अंक एगो ऐतिहासिक अंक बा। साँच कही त  गिरमिटिया प्रथा मनई सभ्यता के इतिहास में एगो करिया दाग बा। आपन खून-पसीना बहा के गिरमिटिया लोग मॉरीशस के धरती के आबाद कइल. जब फूल खिलल तब मॉरीशस बहार से भर गइल। गिरमिटिया लोगन के यात्रा के सगुण केतना नीक रहे की गिरमिटिया लोगन मजदूर बन के गइलन आउर उनकर संतान बनलें सरकार आउर देश के बागडोर बढ़िया से संभललेँ। संपादक जी! राउर गीत के लाइन हमरा बहुते पसंद आइल ह –

हम तो मेहनत को ही हथियार बना लेते हैं / अपना हँसता हुआ संसार बना लेते हैं मॉरीशस, फिजी, गुयाना कहीं भी देखो तुम / हम जहाँ जाते हैं सरकार बना लेते हैं मनोज भावुक

वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्धिवेदी जी “गिरमिटिया ” कविता में गिरमिटिया लोगन के विस्थापन के पीड़ा के बहुते नीक ढंग से उकेरले बानी जइसे कोई चित्रकार अपना पेंटिंग में चित्र के हु- बहु उतार देला। मॉरीशस के डॉ. सरिता बुद्धु मॉरीशस आउर भारत के भोजपुरी के बीच एगो सेतु बाड़ी। आपन आलेख “गिरमिटिया प्रथा” में सरिता जी गिरमिटिया लोगन के इतिहास, बिरह-वेदना, मुसीबत आउर सांस्कृतिक विरासत के बढ़िया सलीका से जिक्र कइले बानीं। प्रो. ह्यूग तिनकर के किताब ‘A New System of Slavery ’ के नाम लेत गिरमिटिया के इतिहास बखूबी बतवले बाड़ी। मॉरीशस के ही श्रीमती नर्वदा खेद्ना जी अपना आलेख “मॉरीशस में शर्तबन्ध मजदूर के आगमन के 186वीं  वर्षगॉंठ (1834-2020)” में अपना गिरमिटिया दादा-परदादा के संघर्ष, पीड़ा, मेहनत आउर कामयाबी के काबिले तारीफ बयान कइले बाड़ी। अपना पूर्वज के विरासत, परंपरा, पर्व-त्योहार आदि के मान-सम्मान देत बाड़ी। साँच कही त सरिता जी आउर नर्वदा खेद्ना जी के लेख में गंगा के अविरल धारा बह रहल बा।

 डॉ. सत्येन्द्र प्रसाद सिंह, प्रभारी प्राचार्य, हरिराम महाविद्यालय मैरवा, सिवान             

रजिन्दर बाबू विशेषांकदस्तावेज बा

भोजपुरी जंक्शन के 1-15 दिसम्बर के ‘रजिन्दर बाबू विशेषांक’ देशरत्न डॉo राजेन्द्र पर एक दस्तावेज के रूप में देखल जा सकsता।

अपना संपादकीय में मनोज भावुक जी डॉo राजेंद्र प्रसाद जी के संविधान निर्माण में योगदान आ संविधान के मुख्य बातन के जवन जानकारी दे के ये अंक के जीवंत बना दिहले बानी, ऊ गागर में सागर से कम नइखे। आर.के.सिन्हा साहब अपना ‘सुनीं सभे’ में गोवा के भूतपूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा जी के सरल-सहज स्वभावगत विशेषता के जानकारी बहुत ही आकर्षक रहल।

बद्रीनाथ वर्मा जी के बिहार के नया सरकार पर समीक्षात्मक आलेख में बिहार के राजनीतिक हालात के सुंदर चर्चा बा। हरेंद्र कुमार पाण्डेय जी के आलेख ‘ जड़ से जुड़ल राजेंद्र बाबू’ बहुत ही सारगर्भित बा जेमे राजेन्द बाबू के विलक्षण प्रतिभा के भरपूर चर्चा बा। राजेन्द्र बाबू के सोमनाथ मंदिर पर दिहल गइल भाषण के जानकारी, आलेख के अउर जीवंत बना देता। राजेन्द्र बाबू के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका पर ज्योत्स्ना प्रसाद जी के आलेख बहुत सराहनीय बा।

भोजपुरी सिनेमा के प्रति डॉo राजेन्द्र प्रसाद के आत्मिक लगाव के खुलासा सम्पादक मनोज भावुक जी के आलेख ‘डॉo राजेन्द्र प्रसाद- दिहनीं भोजपुरी फिल्म बनावे के आइडिया’ से भइल। कुल मिला के ई विशेषांक संग्रहणीय बा। सम्पादक महोदय के राजेंद्र बाबू पर विशेषांक निकाले खातिर हार्दिक धन्यवाद।

अखिलेश्वर मिश्र, कवि अउर साहित्यकार, शांति नगर, बेतिया, पश्चिम चंपारण,बिहार