पियवा के चाहीं परधानी ए रामा

श्री मिथिलेश गहमरी

पियवा के चाहीं परधानी ए रामा,

छुटली चुहनिया

 

पहिले त सुध मुंह, पियवा ना बोले,

महिला कोटा होते आगा पाछा डोले,

बेरी-बेरी कहें दिलजनिया ए रामा,

छुटली चुहनिया

 

पहिले सब कहत रहे हमरा के फुहरी,

आजु सब बनवले बा अँखिया के पुतरी,

छनहीं में बदलल ई दुनिया ए रामा,

छुटली चुहनिया

 

पहिले हमसे आंगनों में घूँघ कढवावे,

वोट बदे आजु गली-गली नचवावे,

सबका से प्यारी कुर्सी रनिया ए रामा,

छुटली चुहनिया