डा० नीलिमा मिश्रा
(एक)
बैरी चीन की गलवान पे नजरिया
बैरी चीन की गलवान पे नज़रिया ई हमका बेइमान
लागेला ।
पाकिस्तान की कसमीर पे नज़रिया ई हमका
सैतान लागेला ।।
उबलत बानी खून रगन में सुनला ई हुंकार ।
वीर देस के सेर सरीखे जिन करिहा तकरार ।।
भड़की ज्वाला हमरे सीने में बिजुरिया
ई हमका तूफान लागेला ।
बैरी चीन की गलवान मे नज़रिया ई बड़ा बेइमान
लागेला ।।
फहरााइब हम अपन तिरंगा अब बीजिंग में जाकर ।
दिल्ली की सरकार से टक्कर जिन लेहलू तू आकर ।।
दस के बदले लेइब चालीस की खबरिया
ई हमका इमतिहान लागेला ।
बैरी चीन की गलवान पे नज़रिया ई हमका बेइमान
लागेला ।।
भगतसिंह सुखदेव राजगुरू सब दिनलिन कुरबानी ।
दुर्गा मैया जैसन रहलीं झाँसी वाली रानी ।।
हल्दीघाटी वाली याद करीं डगरिया
ई हमका स्वाभिमान लागेला
बैरी चीन की गलवान पे नज़रिया ई हमका
बेईमान लागेला
( दू )
जागा-जागा भारतवासी
जागा-जागा भारत वासी, सुना लगाके कान ।
मांगत बाटे देश की माटी , तोहरा बालि दान ।।
वीर बहादुर घर से निकला, हो जाईं तैयार।
सन बासठ के बदला ख़ातिर, कर दुश्मन पे वार।
याद करा तू आपन सगरो गौरव के इतिहास ।
हिम्मत कइके आगे बढ़ तू मन में धर विसवास।।
नेताजी सुभाष के निसदिन,करें सभी गुणगान ।
जागा जागा भारत वासी, सुना लगाके कान ।।
याद करा हल्दीघाटी की राणा की हुंकार ।
झाँसी वाली रानी की भी,याद करा तलवार ।।
भगतसिंह सुखदेव राजगुरू, वीर दिए बलिदान ।
जय- जय भारत माँ की, कइके दीन्हेन अपनी जान ।
जागा जागा भारत वासी, सुना लगाके कान ।
संगम के माटी की गाथा, लिख दीन्हें आजाद ।
गोली के आवाज़े से गूंजा, सगरा इलाहाबाद ।।
वापिस हमका चाही तिब्बत,और पाक- कश्मीर ।
सीमा पे फहराओ तिरंगा ,ओ बाँके रणवीर ।।
हर शहीद के कुरबानी के, क़ीमत ला पहिचान।
जागा जागा भारत वासी, सुना लगाके कान ।
विश्व गुरू भारत कहिलाए, ऊँचा कइके माथ ।
चलें देश के बच्चा-बच्चा, झंडा लइके हाथ ।।
बीजिंग तक पहुँचावा भइया, दिल्ली के ललकार ।
आर -पार की होई लड़ाई ,अबकी बल भर वार ।।
एक वीर के बदले लेइबे ,हम सौ-सौ की जान ।
जागा जागा भारत वासी, सुना लगाके कान ।।
जय-जय-जय- जय बोलो मिलिके, भारत देश महान ।
धन्य-धन्य भारत की भूमि, भारत की संतान ।।