निज हड्डी से लड़त रहेले माई

भोला प्रसाद आग्नेय कुछ न कुछ काम करत रहेले माई। निज हड्डी से लड़त रहे ले माई।। हमरे जिनगी के ऊ परिभाषा ह, स्वर्णिम भविष्य खातिर अभिलाषा ह, कपारे पर बोझा पूरा घर के, लिहले दिन भर चलत रहेले माई। एगो फलसफा ओकरे अंखियन में, भरल बा अमृत ओकरे शब्दन में, दुनिया से […]