चित्त त जिनगी, पट त मौत (अजय कुमार पांडेय)

संस्मरण अजय कुमार पांडेय   माई होईत तब नु कुछ बोलित। ऊ त चल देले रहे आपन अंतिम जातरा पर। छन भर पहिले जे हमनी के बतकही में हुँकारी भरत रहे, उ सदा खातिर मौन हो गइल। केतना बारीक आ पलक झपकाई भर के दूरी बा जिनगी आ मौत में। पानी के बुलबुला ह जिनगी। […]

अन्तिम बिदाई (निशा राय)

संस्मरण निशा राय   बाहरी सुख-संपत से भरल-पूरल परिवार पर दुख के पहाड़ तब टूटल जब 2006 अंतिम चरण में पता चलल कि पापा जी के कैंसर जइसन रोग जकड़ लेहले बा। डेढ़ साल ले त पापा जी बड़ी ढिंठाई से ओकरा से लड़नी बाकिर धीरे-धीरे बेमारी बरियार आ उहाँ का कमजोर परत गइनी। जइसे-जइसे […]

अवघड़ का संगे एगो रात  (जयशंकर प्रसाद द्विवेदी) 

संस्मरण जयशंकर प्रसाद द्विवेदी अचके में हमार नींन खुलल अउर हम अपना के अवघड़ बाबा के संगे सड़क पर पवनी। बाबा अपना भारी भरकम आवाज में आदेश सुनवलन, चुपचाप संगे चलत रह बचवा। बाबा आगे-आगे अउर हम उनका पाछे-पाछे चल देहनी। हमरा गाँव के नियरे जंगल बा। बाबा जंगल के ओरी बढ़े लगलन। आउर हमार […]