वीर कुंवर सिंह के दहिना हाथ मैगर सिंह

आनन्द सन्धिदूत पहिला स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जिला आ पड़ोसी बिहार राज्य का अविभाजित आरा जिला शाहाबाद का रणभूमि में मैगर सिंह एगो अप्रतिम योद्धा हो चुकल बाड़न। कहल जाला कि ई महान स्वतंत्रता सेनानी वीरवर कुंवर सिंह के विश्वसनीय सरदार रहलन आ कुंवर सिंह बलिया, आजमगढ़ आ मिर्जापुर में अंगरेजन से […]

ब्रजकिशोर बाबू – बिहार के जन्मदाता आ स्वतंत्रता-संग्राम के एक महानायक

ज्योत्स्ना प्रसाद ब्रजकिशोर तुम रहे हमारे, ब्रजकिशोर तुम रहे हमारे राष्ट्रपिता के सहकर्मी हे मातृभूमि के प्यारेs ! स्वतंत्रता की रंगीनी में रंग तुम्हारा रंगा हुआ था इंक़लाबी इतिहास तुम्हारे कर-कमलों का गढ़ा हुआ है तेरी प्रतिभा से भास्वर है नीले नभ की सीमा पार ब्रज किशोर तुम रहे हमारे, ब्रजकिशोर तुम रहे हमारे l’ […]

भोजपुरी कविता में राष्ट्रीयता के भाव

डॉ. ब्रजभूषण मिश्र राष्ट्रीयता के भाव एतना प्रबल होले कि ओकरा आगे आन स्थायी भाव फीका पड़ जाला। बाकिर ई भाव स्थायी ना होखे,कुछ समय खातिर होला। राष्ट्रीयता सर्वकालीन आ सार्वलौकिक भाव ना ह। बाकिर क्षणे भर खातिर काहे ना होखे, ई भाव पैदा होके भगत सिंह जइसन नवही के एसेम्बली में बम फेके खातिर […]

जय भारत माता के बोल !

डॉ. ब्रजभूषण मिश्र छूटल जहँवा राम के बाण गूँजल  कान्हा बँसुरी  तान धइलें  जहँवा शंकर ध्यान पवलें जहँवा गौतम  ज्ञान बजवली सरस्वती जहाँ ,आपन वीणा अनमोल । जय भारत माता के बोल ! जहाँ के भाखा भेख अनेक बाकि  बाटे  भीतर से  एक जहाँ के  खूबी ह  आध्यात्म अउर ह बुद्धि बेवहार विवेक इहँवा के  […]

हर दिन साख गँवावत राहुल गांधी

आर.के. सिन्हा राहुल गांधी के राजनीति में अइले काफी समय हो गइल बा। कहे खातिर त उ अपना के जन्मजात राजनीतिज्ञ आ नेता मानेलें। पर ऊ वोह तरे से परिपक्व अभी भी नइखन भइल जइसे उनका से देश अपेक्षा करत रहे। ऊ 2004 से ही लोकसभा के सदस्य बाड़न। उनका सियासत में भारतीय जनता पार्टी […]

असल आजादी इहे बा

मनोज भावुक      एगो गुलाम आदमी बाहरे से ना, भीतरो से गुलाम होला काहे कि ओकरा मन के भा मन से कुछुओ त होला ना। बलुक साँच कहीं त ओकर मन ओकर रहबे ना करेला। ओकरा त दोसरा के हिसाब से चले के पड़ेला। … ठीक ओइसहीं नफरत आ कुंठा भरल मन के हालत होला। […]

राउर पाती

गजब के अंक भइल बा इहो.. नजरे नजर में सउँसे पत्रिका हहुआत देख गइनीं। ‘भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक से भी कष्ट’ सभके पढ़े जोग आलेख भइल बा। फेर, डॉ० अनिल कुमार प्रसाद, डॉ० सुनील कुमार पाठक, डॉ० ब्रजभूषण मिश्र के आलेखन प नजर गइल, जवन विश्व साहित्य से लेले हिन्दी-भोजपुरी साहित्य में माई-बाबूजी के पात्र […]

बटोहिया

रघुवीर नारायण सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से, मोरे प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया। एक द्वार घेरे रामा हिम कोतवलवा से, तीन द्वार सिन्धु घहरावे रे बटोहिया।   जाउ जाउ भैया रे बटोही हिन्द देखि आउ, जहँवा कुहुँकि कोयल बोले रे बटोहिया। पवन सुगंध गंध अगर गगनवा से, कामिनी विरह राग गावे रे बटोहिया। […]

समय के राग ह “सुनीं सभे”

मनोज भावुक अपना समय के बात, करेंट अफेयर्स आ  देश-विदेश आ समाज के तत्कालिक स्थिति पर बोलल आ विमर्श कइल पत्रकारिता के प्रधान धर्म ह। हालाँकि “भोजपुरी जंक्शन” भोजपुरी साहित्य, सिनेमा, संगीत, राजनीति आ तीज-त्यौहार के समेटत, परंपरा आ आधुनिकता के समन्वय के नाम ह, एकर अधिकांश अंक विशेषांक के रूप में प्रकाशित भइल बा, […]