जय भारत माता के बोल !

डॉ. ब्रजभूषण मिश्र छूटल जहँवा राम के बाण गूँजल कान्हा बँसुरी तान धइलें जहँवा शंकर ध्यान पवलें जहँवा गौतम ज्ञान बजवली सरस्वती जहाँ ,आपन वीणा अनमोल । जय भारत माता के बोल ! जहाँ के भाखा भेख अनेक बाकि बाटे भीतर से एक जहाँ के खूबी ह आध्यात्म अउर ह बुद्धि बेवहार विवेक इहँवा के […]
हर दिन साख गँवावत राहुल गांधी

आर.के. सिन्हा राहुल गांधी के राजनीति में अइले काफी समय हो गइल बा। कहे खातिर त उ अपना के जन्मजात राजनीतिज्ञ आ नेता मानेलें। पर ऊ वोह तरे से परिपक्व अभी भी नइखन भइल जइसे उनका से देश अपेक्षा करत रहे। ऊ 2004 से ही लोकसभा के सदस्य बाड़न। उनका सियासत में भारतीय जनता पार्टी […]
असल आजादी इहे बा

मनोज भावुक एगो गुलाम आदमी बाहरे से ना, भीतरो से गुलाम होला काहे कि ओकरा मन के भा मन से कुछुओ त होला ना। बलुक साँच कहीं त ओकर मन ओकर रहबे ना करेला। ओकरा त दोसरा के हिसाब से चले के पड़ेला। … ठीक ओइसहीं नफरत आ कुंठा भरल मन के हालत होला। […]
राउर पाती

गजब के अंक भइल बा इहो.. नजरे नजर में सउँसे पत्रिका हहुआत देख गइनीं। ‘भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक से भी कष्ट’ सभके पढ़े जोग आलेख भइल बा। फेर, डॉ० अनिल कुमार प्रसाद, डॉ० सुनील कुमार पाठक, डॉ० ब्रजभूषण मिश्र के आलेखन प नजर गइल, जवन विश्व साहित्य से लेले हिन्दी-भोजपुरी साहित्य में माई-बाबूजी के पात्र […]
बटोहिया

रघुवीर नारायण सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से, मोरे प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया। एक द्वार घेरे रामा हिम कोतवलवा से, तीन द्वार सिन्धु घहरावे रे बटोहिया। जाउ जाउ भैया रे बटोही हिन्द देखि आउ, जहँवा कुहुँकि कोयल बोले रे बटोहिया। पवन सुगंध गंध अगर गगनवा से, कामिनी विरह राग गावे रे बटोहिया। […]
समय के राग ह “सुनीं सभे”

मनोज भावुक अपना समय के बात, करेंट अफेयर्स आ देश-विदेश आ समाज के तत्कालिक स्थिति पर बोलल आ विमर्श कइल पत्रकारिता के प्रधान धर्म ह। हालाँकि “भोजपुरी जंक्शन” भोजपुरी साहित्य, सिनेमा, संगीत, राजनीति आ तीज-त्यौहार के समेटत, परंपरा आ आधुनिकता के समन्वय के नाम ह, एकर अधिकांश अंक विशेषांक के रूप में प्रकाशित भइल बा, […]
राउर पाती

संपादकन खातिर मिसाल पेश कइले बानीं सचहूं एगो यादगार अंक निकालिके रउआ भोजपुरी पत्रिकन के संपादकन खातिर मिसाल पेश कइले बानीं। अबहीं काल्हे मोतियाबिंद के आपरेशन करवले बानी,एसे पढ़ल-लिखल अबहीं बंद बा। भगवती प्रसाद द्विवेदी, वरिष्ठ साहित्यकार, पटना भोजपुरिये में ना; हिन्दियो में माई-बाबूजी पs ई पहिलका अंक बा ‘भोजपुरी-जंक्शन’ के नयका अंक पढ़नी। […]
निज हड्डी से लड़त रहेले माई

भोला प्रसाद आग्नेय कुछ न कुछ काम करत रहेले माई। निज हड्डी से लड़त रहे ले माई।। हमरे जिनगी के ऊ परिभाषा ह, स्वर्णिम भविष्य खातिर अभिलाषा ह, कपारे पर बोझा पूरा घर के, लिहले दिन भर चलत रहेले माई। एगो फलसफा ओकरे अंखियन में, भरल बा अमृत ओकरे शब्दन में, दुनिया से […]
माई-बाबूजी के रूप-गुण बिसर ना पावे

मार्कण्डेय शारदेय माई-बाबूजी के रूप-गुण बिसर ना पावे। बाबूजी के कद सामान्य आ रंग गोर रहल, बाकिर माई के रंग विशेष गोर रहे। ओकरा जइसन सुन्दर हमरा घर में कवनो पतोह ना आइल लोग। दूनो बेकत पान के शौकीन रहन। बाबूजी पान लगावसु तs माइयो के देसु आ माई पान लगावे तs बाबुओजी के देउ। पनबट्टा पासे […]
सुपर हीरो रहलें माई बाबूजी

डाक्टर मञ्जरी पाण्डेय ई महमारी में कतना लोगिन कै आंखि खुल गइल। हम जिनका के देहाती गँवार बूझत रहनी ऊहै भइल बाड़े सुपर हीरो। आज ऊ लोग परलोक में बाड़ें बाकी रोज़े याद आवतान। काहें कि आज ई महमारी से उबरले खातिर जवन गाइड-लाइन सरकारी भा ग़ैर सरकारी जारी भइल बा। ईहे त हमनी के […]