लंदन में जब पुआ पाकल

मनोज भावुक सोरह साल हो गइल। सोरह साल सुन के त बहुत लोग के मन बासंती हो जाला। सोरहवा साल पर त ना जाने केतना फ़िल्मी गीत बा। बॉलीवुड में गीत गूँजल कि ‘’सोलह बरस की बाली उमर को सलाम’’ त भोजीवुड में गाना बनल, ‘’सोरहे में सुन्नर सामान भइलू’’ .. सोरह पर हमरो एगो […]
उहो सुरूज तs आपने रहले: घर से दूर एगो घर में

डॉ. ( प्रोफेसर) अनिल प्रसाद बहुत उत्साहित आ भयभीत। अनजान जगह आ अनजान लोग, नया परिवेश, नया देस, नया भेस आ बोली, एक अलग संस्कृति। बाबा के खुशी, आँख में चमक, चेहरा पर मुस्कराहट – हमरा मन में उहाँ के कहल बात – हथुआ राज के कचहरी के घंटाघर के लेखा बाजत रहे – ‘लागल […]
भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ युगांडा

मनोज भावुक भूमध्य रेखा पर बसल पूर्वी अफ्रिका के एगो छोट देश युगाण्डा (UGANDA ) अपना पूर्व राष्ट्रपति इदी अमीन के क्रूर, खौफनाक, तानाशाही आ आदमखोर चरित्र के चलते विश्व के मानस पटल पर ओही तरे छा गइल, जइसे हिटलर के चलते जर्मनी आ ओसामा बिन लादेन के चलते अफगानिस्तान। इदी अमीन के चलते युगाण्डा […]
ईयाद रिपब्लिकन ऑफ यमन के

ज्योत्स्ना प्रसाद जवाना घड़ी हमार शादी भइल, ओह घड़ी हमार पासपोर्ट अभी बनल ना रहे। पासपोर्ट खातिर अप्लाई कइला से पासपोर्ट हाथ में अइला तक करीब-करीब दू महीना के समय लाग गइल। पासपोर्ट बनते हमार पति छुट्टी लेके अइलन आ हम उनके साथे रिपब्लिकन ऑफ यमन आ गइनीं। जब कभी कवनों अइसन प्रसंग चलेला त […]
काबुल के मोरचावालू

डॉ० ब्रज भूषण मिश्र – ” हई देखबे नू काबुल के मोरचावालू के चटकवाही! अइसन मरद त देखबे ना कइनी।” – ” तू का जानो बड़का इमदी कइसन होखता है। तोहरा नइहर में एको गो बड़का इमदी पैदे नहीं हुआ।” – ” आ मार बढ़नी रे ! बड़का अदमी रउआ इहाँ पैदा होखत होइहें। हमरा […]
भोजपुरी के वर्ड्सवर्थ आ पन्त: कविवर अनिरुद्ध

निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव बात सन् १९५५ के हs जब हम आठवाँ क्लास में पढ़त रहनी। महीना कवन रहे ई इयाद नइखे। लेकिन ई इयाद पड़sता कि जाड़ा के दिन रहे। बोर्ड मिडिल स्कूल, मशरक का प्रांगण में मशरक के स्कूल सब-इंस्पेक्टर स्व० सिपाही सिंह पागल (ओ घड़ी उ आपन उपनाम ‘पागल’ लिखस) का सौजन्य से […]
कुंज बिहारी कुंजन: भोजपुरी के जे निहाल कर देलस देह गलाके!

भगवती प्रसाद द्विवेदी करीब-करीब पनरह-सोरह बरिस भइल होई, तीन-चार बेर साहित्यिक जलसन में रोहतास (बिहार) के नायाब शहर नोखा के जातरा करेके मोका मिलल रहे। उहे नोखा, जवन कबो गढ़ नोखा का नांव से जानल-पहिचानल जात रहे। आजु भलहीं पहाड़ियन के बेरहम मशीनन से भुरकुस कऽके पथल के रोजगार आ चाउर मिलन के भरमार ओह […]
भोजपुरी के भाषिक अस्मिता के उद्घोषक डॉ. उदय नारायण तिवारी

पांडेय कपिल आचार्य पांडेय कपिल हमार साहित्यिक गुरु रहल बानी। पटना प्रवास के दौरान ( 1996 -2000 ) उहाँ से निकटता बढ़ते चल गइल। पटना छोड़ला के बाद उहाँ के हमार अभिभावक के भूमिका में भी रहीं। 2005 में हमरा शादी में उहाँ का सपरिवार रेणुकूट आइल रहीं। 2 नवंबर 2017 के उहाँ के निधन […]
सरलता, सहजता के जीवन्त मूर्तिः कपिल जी

मार्कण्डेय शारदेय पाण्डेय कपिल जी के आगे पुण्यश्लोक जोड़त गजिबे लागत बा। बाकिर दिव्यलोकी होखला से उहाँ का आपन यशःशरीरे से नु एहिजा बानीं! भर्तृहरि जी कहलहूँ बानी- जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाःकवीश्वराः। नास्ति तेषां यशःकाये जरा-मरणजं भयम्।। अर्थात् रस में पगाइल ओह कवियन के जय होखे, जेकर यश रूपी शरीर बुढ़ापा आ मृत्यु से दूर रहेला। […]
स्मृतिशेष अम्मा-बाबूजी

गरिमा बंधु आपन जन्मदाता, अम्मा बाबूजी पर कुछ लिखल हमरा बस में नइखे। जे हमरा के जनम देहल आ पाल पोस के जिनीगी संवार देहल ओकरा के हम शब्दन में का बांधेव। मतारी-बाप आ वड़ बुजुर्ग त भगवान के प्रतिनिधि हउए। काहे कि, भगवान खुद उतर के ना त हमरा के आशीष दिहें ना प्यार […]