जे जीए के जानी ऊहे मरे के जानी (डॉ. प्रेमशी)ला शुक्ल

आवरण कथा डॉ. प्रेमशीला शुक्ल विज्ञान के जबरदस्त हस्तक्षेप जन्म आ मृत्यु-दूनू में भइल बा। एसे जन्म मृत्यु के अवधारणा आ जीवन दर्शन पर त असर पड़ले बा सामाजिक संरचाना आ जीवन मूल्य पर भी बहुत असर पड़ल बा। जन्म नियंत्रण के तमाम कृत्रिम उपकरण, सिजेरियन डिलीवरी, सरोगेसी, टेस्ट ट्यूब बेबी, लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम जइसन […]
अवघड़ का संगे एगो रात (जयशंकर प्रसाद द्विवेदी)

संस्मरण जयशंकर प्रसाद द्विवेदी अचके में हमार नींन खुलल अउर हम अपना के अवघड़ बाबा के संगे सड़क पर पवनी। बाबा अपना भारी भरकम आवाज में आदेश सुनवलन, चुपचाप संगे चलत रह बचवा। बाबा आगे-आगे अउर हम उनका पाछे-पाछे चल देहनी। हमरा गाँव के नियरे जंगल बा। बाबा जंगल के ओरी बढ़े लगलन। आउर हमार […]
बरवा तर के भूतवा ए बाबा! (मनोज भावुक)

सिनेमा मनोज भावुक गाँव के रहे वाला बानी भा गाँव रउरा भीतर रहल बा त रउआ जरूर भूत, प्रेत, चुरईल के कथा-कहानी सुनले होखब। चनेसर चाचा ओह बरगद के पेड़ तर से राति में जात रहलें त एगो परछाईं पीछा कइलस। बटेसर बाबा से ओह पकड़ी के पेड़ तर एगो भूत खैनी मंगलस। फलाना […]
मरले की बाद काहें लवटि आइल ऊ?।

कहानी पं. प्रभाकर पांडेय ‘बाबा गोपालपुरिया’ नींद अउर आंखि के रिस्ता अब एकदम्मे खतम हो गइल रहे। बार-बार उ इहे सोंचे लागल की बुजुर्ग इ काहें कहने हं की उ जवने सीट पर रहने हं उ अभिसापित बा, अउर साथे-साथे उ हमरा के अपनी टेसन ले जगले रहे के हिदायत दे गइने हं। खैर, अब […]
जनम-मरन के लोक-विज्ञान

आलेख डॉ. शंकर मुनि राय ‘ गड़बड़ ‘ मेहरारू के कलपल सून के पुजारी जी के आँख खुलल आ ऊ इशारा से ओह मेहरारू के अपना भिरी बोलाके कहलन कि खीसा है कि जबले साँस, तब ले आस, निरास होखेके जरुरत नइखे, अबे कुछ नइखे बिगड़ल तोहार, तोहरो गोद भरा जाई. प्रभु कृपा…! अतना सुनके […]
सराप

कहानी डॉ. सुमन सिंह आजी इनके-उनके टोवे लगलीं। आजी क लकड़ी नियन अंगुरी जेके छुआय जाय उहे कऊँच के कहे ‘ का हाड़ गड़ावत हऊ आजी। इंहवा तोहार बीनवा ना हे। कहीं होई कोने-अतरे लुकाइल-सोकताइल। कहनिया सुनावा न। आगे का भइल। का भइया लोग बचवलन जा अपने बहिन के ? की मर-बिलाय गइलीं? ‘ […]
ज्योतिष आ जीव के उत्पत्ति

आलेख डॉ धनंजय दुबे जीयल-मूअल हाथ में नइखे बाकिर ओकरा के ठीक से समझला प कुछ दुख-दर्द कम हो जाई। त आईं, जन्म-मृत्यु के संदर्भ में सबसे पहिले ई जानल जाव कि जीव के उत्पत्ति कइसे होला। संसार में चार प्रकार के जीव के व्याख्या कइल गइल बा- अंडज, पिंडज, उसमज आ स्थावर। अंडज […]
जन्म मृत्यु के बात

आलेख रजनी रंजन जन्म आ मृत्यु जीवन के आरंभ और अंत के संकेतक ह आ चाहे ई भी कहल जा सकता कि ईश्वर के सिरिजन के पहिलका प्रतिफल ह। पुरुष आ प्रकृति ई दुनों चेतन तत्व के रूप में आइल। एही आवाजाही के जन्म आ मृत्यु नाम पड़ल। चित्त मन के ही एगो अंग होला जवना में […]
कुछ पिछलो जनम के पुण्य-पाप होला

आलेख श्रीधर दुबे भारतीय परम्परा में जन्म-जन्मांतर पर खूब बात भइल बा। इहवाँ आत्मा के सम्बंध खाली एहि देहिए ले नाही मानल जाला। गीता में कृष्ण भगवान कहले भी बाने कि जइसे मनई पुरान कपडा के छोडी के नया कपडा धारण करेला ठीक वोही तरे आत्मा भी शरीर के जीर्ण-शीर्ण हो गइले पर नया शरीर […]
कर्म आ ईश्वर पर भरोसा रखीं

आलेख संजय कुमार पाण्डेय ‘ सिद्धांत ’ सभे के आपन-आपन कर्म के फल जरूर मिलेला, जेकरा कारण प्रत्येक जीव वनस्पति, पशु या मानव रूप में असंख्य जन्म से गुजरेला। एह कर्म फल के तुलना हमनी के बैंक से कर सकिला, काहे कि जब तक बैंक के हिसाब-किताब के निपटान पूरा ना होखे, तब तक कोई […]