गौरी – हमार पैतृक गाँव

लेखक: डॉ. रंजन विकास गौरी हमार पैतृक गाँव हऽ। दरौली प्रखण्ड के अन्दर पड़ेला। हमार गाँव तीन नदी के बीच में घिरल बा। गाँव के पूरब में झरही नदी, दक्खिन में सरयू नदी आ पच्छिम में निकारी नदी बा। एकरा बादो हमरा गाँव में आज ले कबहूँ बाढ़ नइखे आइल। लगभग हर साल गर्मी आ […]
हम गाँव में बहुत कम रहनी बाकिर गाँव हमरा भीतर हमेशा रहल

लेखक: मनोज भावुक हमरा ईयाद बा जब हम छठवां-सातवाँ में पढ़त रहीं त माई हर साल गरमी आ जाड़ा के छुट्टी में बहरा से गाँवे निकल जाय। एकरा अलावे भी महिना-दू महिना पर गाँवे चलिए जाय। ओकर परान गाँवे में बसत रहे। हम नया-नया शहर में आइल रहीं। शहर माने रेनूकूट, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश। हमरा […]
चुनौती बनल अवसर

लेखक- महेन्द्र प्रसाद सिंह सन 1990 के बात ह। हमार पहिलकी किताब, भोजपुरी नाटक, “बिरजू के बिआह” खातिर हमरे अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का ओर से जगन्नाथ सिंह पुरस्कार लेबे खातिर नेवतल गइल रहे। हमरा 26 मई 1990 के रेणुकोट पहुंचे के रहे। अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के 11वां अधिवेशन के आयोजन उंहवे […]
भोजपुरिया समाज के जीवट कथा

लेखक- विनय बिहारी सिंह तीन गो एकदम सांच आ रोचक घटना हमनी के भोजपुरिया समाज के लौह पुरुषता के उदाहरण बाड़ी सन। अइसे त अनगिनत घटना बाड़ी सन, बाकिर आजु तिनिए गो प्रेरक घटना पढ़ीं। पहिला घटना– उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के कौनो गांव के घटना ह। लइकाईं में ई घटना सुनाके हमार ईया […]
भोर ना परे भात के खीर

डॉ. अन्विति सिंह गुजरल दिन के कुछ-कुछ घटना अइसन ह जवन अकसरहे चेहरा पर मुस्कान लिया देवेला आउर याद अगर अम्मा, पापा आ मामा के तिकड़ी के होखे त सोने प सुहागा। ऊ लोग के सब याद हमार अनमोल थाती ह। जेतना बेर याद करीले ओतना बेर हम ओह समय के यात्रा क लेवेनी। जाड़ा […]
भोजपुरी में संस्मरण-लेखन

केशव मोहन पाण्डेय जब कवनो लेखक अपना निजी अनुभव के ईयाद क के कवनो मनई, घटना, वस्तु चाहें क्रियाकलाप के बहाने लिखेला त उ सब पाठक के मन से जुड़ जाला। पाठक अपना देखल-सुनल-भोगल समय-काल में ओह चीजन के, बातन के, जोहे-बीने लागेला। संस्मरण एगो अइसनके विधा ह, जवना के पढ़ के पाठक लेखक के […]
ईंटा क जबाब पत्थर

शशि प्रेमदेव एही धरती का कवनो कोना में एगो देस रहे। ओह् देस में एगो नगर रहे — तमाम छोट-बड़ मकान-दोकान से भरल-पूरल। आ ओही मकानन-दोकानन का बीच से बहत रहे एगो उदास नदी। कुछ आबादी नदी के एह् पार। कुछ ओह पार। नगर का ओह पार वाला हिस्सा में एगो परम पावन इमारत रहे। […]
भोजपुरी मातृभासाई अस्मिता के खोज

प्रो. (डॉ.) जयकान्त सिंह ‘जय‘ ‘ भाषा ‘ के ‘ भासा ‘ लिखल देख के बिदकी जन। भोजपुरी के उचारन के दिसाईं इहे सही बा। भोजपुरी में भाषा के भासा बोलल आ लिखल जाला। काहे कि ई बैदिक परम्परा से आइल देसी प्राकृत भासा ह। प्राकृत मतलब बोले भा उचारे के प्रकृति आ प्रवृत्ति के […]
स्व. शैलजा कुमारी श्रीवास्तव – एक परिचय

ज्योत्स्ना प्रसाद जन्मतिथि- 19 अक्टूबर 1927 पुण्यतिथि- 31 दिसम्बर 1989 ‘अपि स्वर्णमयी लङ्का न में लक्ष्मण रोचते । जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी । । ’ ई कथन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र जी के ह। एह कथन से ही ई बात प्रमाणित हो जाता कि सनातन धर्म आ भारतीय परम्परा में माता के केतना ऊँचा स्थान बा? […]
दिवंगत भोजपुरी सेवी ( भाग – 11 )

डॉ. ब्रजभूषण मिश्र ” भोजपुरी साहित्य के गौरव ” स्तम्भ में दिवंगत साहित्य सेवियन के संक्षिप्त परिचय के सिलसिला पीछला कई अंकन से जारी बा। अब तक निम्नलिखित 93 गो दिवंगत साहित्यकारन के संक्षिप्त परिचय रउरा पढ़ चुकल बानी। ओह 93 गो साहित्यकार लोगन के लिस्ट पढ़ीं आ फेर आगे बढ़ीं। – संपादक अंक 11 […]