पूर्वज लोग से नेह-नाता के पर्व ह पितृपक्ष

मर गइलें बाबा। मर गइली ईया। मर गइलें नाना। मर गइली नानी। बाबुओजी मर गइलें। … बाकिर ना मरल ओह लोग से जुड़ल संबंध। पितृपक्ष इहे बतावेला। श्राद्ध-पिंडदान आ तर्पण क के पूर्वज लोग के इहे नू बतावल जाला कि आजो ऊ लोग हमनी के परिवार के हिस्सा बा। आजो हमनी के ओह लोग के […]

जिंदगी युद्ध ना उत्सव ह

हमनी के भीतर केतना युद्ध चलत बा,  कुछ पता बा रउआ ? श्वेत रक्त कणिका (WBC) होखे चाहे प्लेटलेट्स भा हमनी के पूरा के पूरा इम्यून सिस्टम, सब लड़हीं खातिर बनल बा। बाहर के बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आ बेमारी से देह लड़ते बा। देह के भीतर युद्ध चलते बा। आ दिमाग! ….दिमाग के का कहल […]

दुनिया में युद्ध ना बुद्ध के दरकार बा

अगर अन्हरिया से अँजोरिया के तरफ बढ़े के बा त आपन धरती आ आकाश बढ़ावे के पड़ी। आपन सुरुज खुद उगावे के पड़ी। तबे भीतर अँजोर होई। राउर आपन औरा (आभा) बनी। मन खुश रही। जीवन मजबूती से जीयब आ बोध के क्षमता बढ़ी। हम बुद्धि के बात नइखीं करत, बोध के बात करत बानी। […]

जिनगी संभावना ह, समस्या ना

तर्क से परे बा बहुत कुछ। बहुत कुछ बा बुद्धि से ऊपर। बहुत कुछ बा beyond the obvious बहुत कुछ बा जवन कहइला से कहाई ना। बहुत कुछ बा जवन लिखइला से लिखाई ना। बहुत कुछ बा जवन अनुभव के अँटिया में दबा के देह के साथे बिला जाला। बहुत कुछ बा जवन होठ प […]

नया साल पर सौगात : भोजपुरी के 101 दिवंगत साहित्य सेवी

अमर होके केहू नइखे आइल। जे आइल बा सेकरा जाहीं के बा। बाकिर कुछ लोग जाइयो के रह जाला …जेहन में, चित्त में, स्मृति में, इतिहास में, लोक में। मरियो के ना मरे आ बोलत-बतियावत रहेला अपना काम में, कृति में। हमार एगो शेर बा – बहुत बा लोग जे मरलो के बाद जीयत बा […]

अनुभव के अँटिया ह संस्मरण

संस्मरण का ह ? याददाश्त ह। मेमोरी ह। याददाश्त कवना रुप में दिमाग पर छपल बा, केतना गहराई के साथे मन में बइठल बा, ओही तासीर आ भावना के साथे दिलोदिमाग में गूँजेला। दरअसल संस्मरण अनुभव के अँटिया ह, जवन बोझा बन्हा जाला मन के ढोये खातिर। जब लइका पैदा होला त अपना होश सम्हरला […]

मन के रिचार्ज करीं

अक्टूबर-नवंबर के फेस्टिवल मन्थ यानी कि पूजा-पाठ के महीना कहल जाला। नवरात्र-दशहरा से दिवाली-छठ ले पूजे-पूजा। अनुष्ठाने-अनुष्ठान। एगो आध्यात्मिक माहौल। सवाल ई बा कि ई सब खाली पूजा के रस्म-अदायगी भर बा आ कि लोग बाग पर एकर असरो बा ? कवनो दिया में कतनो तेल होखे, कतनो घीव होखे, उ बुताइल बा त ओकर […]

प्रेमे ईलाज बा तनाव के

मनुष्य के सबसे बड़ उपलब्धि बा कि ओकरा पास एगो विकसित दिमाग बा लेकिन साथ हीं सबसे बड़ परेशानियो के कारण इहे बा। दिमगवे नू तनाव के घर ह। हाल हीं में भइल सर्वे के अनुसार दुनिया में 86 प्रतिशत लोग तनाव के शिकार बा। अपना देश भारत में त 89 प्रतिशत लोग ‘टेंशन’ में […]

असल आजादी इहे बा

मनोज भावुक      एगो गुलाम आदमी बाहरे से ना, भीतरो से गुलाम होला काहे कि ओकरा मन के भा मन से कुछुओ त होला ना। बलुक साँच कहीं त ओकर मन ओकर रहबे ना करेला। ओकरा त दोसरा के हिसाब से चले के पड़ेला। … ठीक ओइसहीं नफरत आ कुंठा भरल मन के हालत होला। […]

समय के राग ह “सुनीं सभे”

मनोज भावुक अपना समय के बात, करेंट अफेयर्स आ  देश-विदेश आ समाज के तत्कालिक स्थिति पर बोलल आ विमर्श कइल पत्रकारिता के प्रधान धर्म ह। हालाँकि “भोजपुरी जंक्शन” भोजपुरी साहित्य, सिनेमा, संगीत, राजनीति आ तीज-त्यौहार के समेटत, परंपरा आ आधुनिकता के समन्वय के नाम ह, एकर अधिकांश अंक विशेषांक के रूप में प्रकाशित भइल बा, […]