जिंदगी जंग ह, बोझ ना…

संपादक -मनोज भावुक भोरे–भोरे गौरैया आँगन में चहकल चाह के दोकानी के आँच बाटे लहकल …. आ ओही चाह के दोकानी पs, चट्टी पs कुल्हड़ में चाय सुड़ुक-सुड़ुक के पीयत दुनिया भर के बतकही, दुनिया भर के पंचायत, देश-विदेश के समस्या, निजी घात-भीतरघात सब शेयर होखे अपना यार के सङे, दिलदार के सङे, राजदार […]
सावधान, ड्रैगन दगाबाज !

संपादक : मनोज भावुक चाहे करगिल होखे भा कोरोना भोजपुरी समाज हमेशा ललकारत रहल बा। एह से केहू एह भरम में मत रहो कि भोजपुरी खाली एगो मीठ भाषा ह। अरे मीठ ओकरा खातिर ह जे विनम्रता से, सभ्यता से, प्रेम से मिले आ व्यवहार करे ना त ई अगिया बैताल भाषा ह। विरोध, प्रतिरोध […]
रेड, ऑरेंज आ ग्रीन जोन वाला आदमी

संपादक- मनोज भावुक ” लॉकडाउन समस्या नइखे। समस्या त भूख बा। ” मदर्स डे पर बाते बात में ई बतिया समझा देलस माई। विश्व के तमाम माई के मने मन प्रणाम करत हम लॉकडाउन अउर भूख के बारे में सोचे लगनी। सोचे लगनी, पूर्वांचल के माई-दादी आ चाची-भउजी का बारे में जे पूरा जिनगी लॉकडाउन […]
कोरोना के ओह पार …

संपादक – मनोज भावुक बबुआ रे, ई देश-विदेश काहे बनल ?…काहे बन्हाइल बाँध सरहद के ?…दुनिया के ऊपर एके गो छत -आसमान आ एके गो जमीन-धरती। के कइलस टुकड़ा-टुकड़ा?…झगड़ा के गाछ के लगावल? के बनावल नफ़रत के किला ?… का दो, धरती माई हई। माईयो टुकी-टुकी ??? एह टुकी-टुकी में हीं सारा समस्या के जड़ […]
लोक बनवले बा बाबू कुँवर सिंह के इतिहास पुरुष

संपादक- मनोज भावुक कवनो चीज के कथा-कहानी के रूप में देखल आ ओकरा के भोगल दूनों दू गो बात ह। दूनों के मरम अलग होला। अबहीं सउँसे विश्व में कोरोना महामारी के प्रकोप बा। भारत में भी लॉक डाउन चलsता। लोग दहशत में बा। घर में कैद बा। केहू के बाल-बच्चा कहीं फँसल बा त […]
कोरोना काल में रामायण क्रांति

संपादक – मनोज भावुक टेलीविजन प टीकर चलsता कि लॉकडाउन में संयम सिखावे अइले श्रीराम। लक्ष्मण रेखा में रहे के मर्यादा सिखइहें श्रीराम। दरअसल कोरोना महामारी के खिलाफ पूरा देश में 25 मार्च से 21 दिन के जवन लॉकडाउन भइल बा, ओह में 28 मार्च से दूरदर्शन पर सुबह-शाम रामानंद सागर कृत रामायण के प्रसारण […]
ए हो रामा…

संपादक- मनोज भावुक फगुआ के बाद चइता अंक परोस रहल बानी। फगुआ अगर अंत हऽ त चइता शुरूआत। अंत आ शुरुआत के अद्भूत तालमेल ह फगुआ-चइता। एही संगम पऽ हमनी के नया साल के उद्गम बा। रउरा सभे के नया साल के शुभकामना। नया साल के अइसन जश्न त दुनिया में कहीं मनावले ना जाला। […]
सदा आनंद रहे एही द्वारे !

संपादक- मनोज भावुक का कहीं ! हैप्पी होली कहत तऽ बानी बाकिर कुछुओ हैप्पी लागत नइखे। मन के बगइचा में कोयल कुहूकत तऽ बिया बाकिर आम मोजरात नइखे। सदा आनंद रहे एही द्वारे के भावना अबहियों उफान पऽ बा, बाकिर सच्चाई तऽ कुछ अउरिये लउकता। आखिर के आ काहे हमनी के फगुनी बयार में माहुर […]
प्यार के रंग चढ़ गइल बा का?

संपादक : मनोज भावुक गांधी अंक से ‘हम भोजपुरिआ’ के श्री गणेश भइल। मन बड़ा खुश भइल। गांधी 150 पऽ भोजपुरी में महात्मा गांधी विशेषांक निकलल। एह बात के सगरो हाला बा। जोरदार स्वागत होता। मार फोन प फोन, मैसेज पऽ मैसेज आ चिट्ठी आवता तऽ मन आह्लादित बा। 30 जनवरी के गांधी जी के […]
कुछु बा ना बाकिर बहुत कुछ बा…

संपादक- मनोज भावुक हमनी के सफर में बानी जा, यात्रा में… ‘गांधी संकल्प-यात्रा’। एह यात्रा में शामिल होखे के सौभाग्य हमरा भेंटाइल आ हमरा कमजोर कान्ह पर बड़ जिम्मेदारी सौंप दिहल गइल; सांस्कृतिक टीम के लीड करे के, संकल्प यात्रा के थीम गीत लिखे के आ चार महीना पूरा यात्रा के दौरान देश के कोना-कोना […]