कारगिल आ अन्तरात्मा

मनोज भावुक ( एक ) ( कारगिल मोर्चा पर विदा करत नई नवेली दुलहिन के अन्तरात्मा ) लवटब त चौठारी होई जाई प्रियतम कर्मक्षेत्र में पौरुष के इजहार करी दुश्मन आइल, सीमा भीतर दुश्मन के संहार करीं। घूंघट में मत झाँकी रउरा झाँकी हमरा हियरा में देखीं, कइसन-कइसन झांकी देश-प्रेम के, जियरा में […]
उजियार करीं जा

डॉ. सविता सौरभ फेरू नया- नया कुछ करे के बिचार करीं जा। ऊ जे आवत बा अन्हरिया उजियार करीं जा।। फाँसी चढ़के सीस कटा के बलि देके आजादी आइल। कतना जतन से कमल खिलल बा मत सेंवार करीं जा।। गान्धी,लाल, पाल,सुभाष,ऊधम,खुदी, भगत,आजाद। बिस्मिल, कुंवर सिंह, सावरकर से गोहार करीं जा।। […]
कहाँ बा आपन हिंदुस्तान

सुभाष चंद्र यादव ( एक ) कहाँ बा आपन हिंदुस्तान, दुलारा-प्यारा हिंदुस्तान। पागल मनवां खोज रहल बा बस आपन पहिचान।। कहाँ बा आपन … जगत गुरु के महिमा सगरो माटी में मिली गइलें, सोन चिरइया रहे कबो सपना के संपति भइलें, बेद पुरान भुलाइल सगरो गीता के उ ज्ञान।। कहाँ बा आपन […]
सांस्कृतिक मूल्यबोध के देश-गीत

डॉ. अशोक द्विवेदी (एक) जहवाँ हेरइलें आके बड़-बड़ ज्ञानी…., उहे देसवा झरे पथरो से पानी; उहे देसवा हवे मोर देसवा ! जोगिया करेलें धन-संपति स्वाहा दुलहा बनेलें जहाँ शिव बउराहा दुलहिन गउरा के हवे रजधानी ! उहे देसवा….झरे पथरो से पानी ! हवे मोर देसवा ! तप करें जहाँ रिसि सत […]
सोने क चिरई

झगड़ू भइया सोने क चिरई भारत हउऐ चिरई भइल लचार देख ला। लगत हौ झुण्ड बहेलियन क कइले हौ खेलवार देख ला।। मूड़े माथे हौ महँगी गठरी सबही भयल लचार देख ला। तेल लगावै से पहिले अब तेल, तेल क धार देख ला।। अब सेर के खोल में गदहा बा मखमल के भाव टाट […]
तब जाके चान चमचमाइल

संगीत सुभाष फँसरी की रसरी प झुलुहा समझि के, जिअते जिनिगिया टंगाइल, ए भइया! तब जाके चान चमचमाइल। बिस्मिल, सुखदेव, भगत सिंह के जवानी। असमय ओराइल, लिखाइल कहानी। गूँजि गइल कन-कन से जयहिन्द के नारा ठाँव-ठाँव खून से रंगाइल। ए भइया!…. काँपि गइल अँगरेजी शासन डेराइल। वीरन के टोली के बाढ़ि देखि आइल। केसरिया फेटा […]
सुराजी गीतन क आधार धरत घर घर के कनिया

आकृति विज्ञा ‘अर्पण‘ जब भारत क सुराज क सपना अकुलाहट के संघरी जन जवार के बीचे एठो आंदोलन के रूप में आइल त अंग्रेजन के भी भीतर मने बुझाइये गइल रहे कि अब दाल ढेर दिन ना गली। ओह बेरी पूरे भारत में अलग अलग नायक लोग उभरत रहो ताकि माटी के पूतन के एक […]
बाबू कुँवर सिंह तेगवा बहादुर

लेखक- मनोज भावुक 1857 के क्रांति के बारे में सभे पढ़ले बा, सुनले बा, जनले बा। अंग्रेज आ ओकनी से प्रभावित अधिकतर इतिहासकार एह महान क्रांति के सैनिक विद्रोह के नाम दे के भुलवावे के कोशिश कइलें बाकिर भारत के लोग एकरा के पहिला स्वतंत्रता संग्राम कहल। एह संग्राम में अइसे त एक से एक […]
प्रथम विद्रोही : महाराजा फ़तेह बहादुर साही

विश्वजीत शेखर देश के आज़ादी के पचहत्तर बरीस पूरा होखे वाला बा आ सरकार का ओर से ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ नाँव से एगो कार्यक्रम चल रहल बा। एह कार्यक्रम में इतिहास में विस्मृत आज़ादी के नायक-महानायक लोग के भी चिन्हित क के उचित सम्मान देहला के योजना बा। ए कार्यक्रम के नज़र से अगर […]
चंपारण के गान्ही: पं. राजकुमार सुकुल

भगवती प्रसाद द्विवेदी महल के कंगूरा त अनसोहातो सभकरा के लोभावेला, बाकिर नेंव में दबल ईंटा के ना त केहू कीमत बूझेला, ना ओने निगाहे धउरावे के जरुरत महसूस करेला। इहां ले कि कंगूरो के एह तथ के एहसास ना होला कि नेंव के ईंटे के बदउलत ओकर माथ गरब से उठल बा। देश के […]