बेतिया से बॉलीवुड के सफर मनोज बाजपेयी खातिर आसान ना रहल

जन्मदिवस विशेष: 23 अप्रैल 1969 लेखक- मनोज भावुक कुछ लोग के ज़िन्दगी के कहानी स्वेट मार्डेन, शिव खेड़ा, नेपोलियन हिल आदि के प्रेरक पुस्तक से कम रोचक आ मोटिवेशनल ना होला। कोरोना काल में अइसने कहानियन के जरूरत बा जे गहन निराशा में आशा के किरण जगावे। कहल जाला कि मन में हिम्मत होखे आ […]
केदार पाण्डेय से बाबा रामोदार दास आ फेर राहुल सांकृत्यायन कइसे बन गइलें राहुल बाबा

जन्मतिथि- 09 अप्रैल 1893 | पुण्यतिथि- 14 अप्रैल 1963 लेखक- मनोज भावुक पहिला बार जब हम जननी कि राहुल बाबा भोजपुरियो में किताब लिखले बाड़न, उहो नाटक… उहो एगो-दुगो ना, आठ गो त विश्वासे ना भइल। राहुल बाबा माने महापंडित राहुल सांकृत्यायन। बात 1996 के ह। तब हम बिहार आर्ट थियेटर, कालिदास रंगालय, पटना में […]
कुँवर सिंह के आखिरी रात

मनोज भावुक 26 अप्रैल 1858 के रात कुँवर सिंह के आखिरी रात रहे। तीन दिन पहिले 23 अप्रैल के 80 बरिस के एह घायल शेर के कटल हाथ पर कपड़ा बन्हाइल, ओकरा ऊपर से चमड़ा के पट्टा से ढ़ाल के बान्हल गइल, तिलक लगावल गइल। फेर त ई राजपूती तलवार अंगरेजन के गाजर-मूली के तरह […]
देवनागरी लिपि के पहिला व्यंजन, अंक शास्त्र के सातवां अंक आ वीर कुँवर सिंह

कृष्ण कुमार देवनागरी लिपि के पहिला व्यंजन ‘क’ से शुरू होखे वाला कुँवर सिंह आ 1857 के सिपाही विद्रोह के भीष्म पितामह बाबू वीर कुँवर सिंह एगो अइसन वीर पुरूष रहीं जे अन्याय, अत्याचार आ शोषण के खिलाफ ना कबो आंख मूंदनी आ ना कबो सिर झुकवनी। राउर जनम बिहार के पुरान आ सबसे बड़ […]
माओवादिन के होखे समूल नाश

आर. के. सिन्हा छत्तीसगढ़ में माओवादियन के दानवी कृत्य के कारण सारा देश के गुस्सा वाजिब ही बा। माओवादियन के साथ मुठभेड़ में सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हो गइलन। मुठभेड़ स्थल पर पड़ल जवानन के शव के देखके हरेक हिन्दुस्तानी के कलेजा फाटल जात रहे। पिछला कुछ साल में छत्तीसगढ़ में ई माओवादियन […]
कोरोना काल का आदमी के आदमी बना सकी ?

संपादक- मनोज भावुक कोरोना पॉजिटिव होके कोरोना प लिखल आसान ना होला। हँथवा काँपे लागेला। काँपतो बा। लैपटपवा प बइठत बानीं आ लिखे खातिर जोर मारत बानीं त आँखी के सोझा अइसन केतना चेहरा नाँच जाता जे आज से दस दिन पहिले ले सङे हँसत-बोलत-बतियावत रहे आ आज ओह में से केहू के अस्थि विसर्जित […]
मुखियई के मचि गइल हल्ला

सत्य प्रकाश शुक्ल बाबा मुखियई के मचि गइल हल्ला, लागल शिकारी चाल में । लेके दउरल चीखना चखना, माछ फँसावे जाल में ।। पांच बरिस जे बाति ना पूछल, नियराइल तs आइल बा । उ जालि लोग बूझि गइल तs, नाया जालि बुनाइल बा ।। कउआ भी अब बोले लागल, मिठकी कोयल […]
राहे-राहे रार करे सगरी हो रामा

श्री मूंगालाल शास्त्री राहे-राहे रार करे सगरी हो रामा, चूला चइतवा ठावें-ठावें ठान देला रगरी हो रामा, खुलमखुला चइतवा बरगद ना बरजेला पछुआ अ बाटी, दिने दुपहरे के फाड़े रहरी के टाटी, रहरी के टाटी रामा रहरी के टाटी, ओरहन पर लूती लहसावे हो रामा, आगबबूला चइतवा साचे-साचे झूठ फ़रियावे हो रामा, लुचा […]
महुवा बीनत हम थाकीं हो रामा

आकृति विज्ञा ‘अर्पण‘ महुवा बीनत हम थाकीं हो रामा, ननद असकितही…. कहनी ननद तनि महुआ बिनाई द ऊ त जाके ह्वाट्सएप चलावें हो रामा, ननदि असकितही…. कहनी ननद तनि खैका बनाइ द ऊ त हाय जांगरो चोरावें हो रामा, ननदि असकितही…. कहनी ननदि मोर हथवा पिराला हमरे से नजर देखावें हो […]
चह-चह चहके अंगनवा हो रामा

आचार्य मुकेश चह-चह चहके अंगनवा हो रामा, चइत महीनवा चइत महीनवा हो चइत महीनवा पल-पल पुलके परनवा हो रामा, चइत महीनवा चंदन वन मँहके अति भोरे खग मानुष मन उठत हिलोरे पूरन सकल सपनवा हो रामा, चइत महीनवा साधु सजन जन जुटत दुवारे दशरथ सुत सुन रटत पुकारे मंगल गावें भवनवा हो रामा, […]