जंगे-आजादी में ‘लुटेरवा’

भगवती प्रसाद द्विवेदी जब 1857 में भोजपुरिया जवान मंगल पांडे के अगुवाई में सिपाही विद्रोह भइल, त सउंसे भोजपुरियन के लोहू उफान मारे लागल रहे आ जे जहवां रहे उहंवें से खिलाफत के सुर बुलंद कइल शुरू कऽ देले रहे। जन-जन में राष्ट्रीय चेतना के बोध करावे का गरज से देश के इतिहास, भूगोल, कुदरत, […]

वीर कुंवर सिंह के दहिना हाथ मैगर सिंह

आनन्द सन्धिदूत पहिला स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जिला आ पड़ोसी बिहार राज्य का अविभाजित आरा जिला शाहाबाद का रणभूमि में मैगर सिंह एगो अप्रतिम योद्धा हो चुकल बाड़न। कहल जाला कि ई महान स्वतंत्रता सेनानी वीरवर कुंवर सिंह के विश्वसनीय सरदार रहलन आ कुंवर सिंह बलिया, आजमगढ़ आ मिर्जापुर में अंगरेजन से […]

ब्रजकिशोर बाबू – बिहार के जन्मदाता आ स्वतंत्रता-संग्राम के एक महानायक

ज्योत्स्ना प्रसाद ब्रजकिशोर तुम रहे हमारे, ब्रजकिशोर तुम रहे हमारे राष्ट्रपिता के सहकर्मी हे मातृभूमि के प्यारेs ! स्वतंत्रता की रंगीनी में रंग तुम्हारा रंगा हुआ था इंक़लाबी इतिहास तुम्हारे कर-कमलों का गढ़ा हुआ है तेरी प्रतिभा से भास्वर है नीले नभ की सीमा पार ब्रज किशोर तुम रहे हमारे, ब्रजकिशोर तुम रहे हमारे l’ […]

भोजपुरी कविता में राष्ट्रीयता के भाव

डॉ. ब्रजभूषण मिश्र राष्ट्रीयता के भाव एतना प्रबल होले कि ओकरा आगे आन स्थायी भाव फीका पड़ जाला। बाकिर ई भाव स्थायी ना होखे,कुछ समय खातिर होला। राष्ट्रीयता सर्वकालीन आ सार्वलौकिक भाव ना ह। बाकिर क्षणे भर खातिर काहे ना होखे, ई भाव पैदा होके भगत सिंह जइसन नवही के एसेम्बली में बम फेके खातिर […]

कुँवर सिंह के आखिरी रात

मनोज भावुक 26 अप्रैल 1858 के रात कुँवर सिंह के आखिरी रात रहे। तीन दिन पहिले 23 अप्रैल के 80 बरिस के एह घायल शेर के कटल हाथ पर कपड़ा बन्हाइल, ओकरा ऊपर से चमड़ा के पट्टा से ढ़ाल के बान्हल गइल, तिलक लगावल गइल। फेर त ई राजपूती तलवार अंगरेजन के गाजर-मूली के तरह […]

देवनागरी लिपि के पहिला व्यंजन, अंक शास्त्र के सातवां अंक आ वीर कुँवर सिंह

कृष्ण कुमार       देवनागरी लिपि के पहिला व्यंजन ‘क’  से शुरू होखे वाला कुँवर सिंह आ 1857 के सिपाही विद्रोह के भीष्म पितामह बाबू वीर कुँवर सिंह एगो अइसन वीर पुरूष रहीं जे अन्याय, अत्याचार आ शोषण के खिलाफ ना कबो आंख मूंदनी आ ना कबो सिर झुकवनी। राउर जनम बिहार के पुरान आ सबसे बड़ […]

कोरोना काल में ‘ राम रसायन तुम्हरे पासा ‘

मनोज भावुक ई चइत के महीना हऽ. भगवान श्रीराम के जनम के महीना. अब राम से बड़ा नायक के बा ? जेतना राम पर लिखाइल बा, कहाइल बा, गवाइल बा आ मंचन भइल बा, सीरियल-सिनेमा बनल बा, ओतना कवना नायक पर काम भइल बा ?…आ बात खाली भइला के नइखे, भावना के बा. जवना भावना […]

श्रीराम अवतार के रहस्य

मोहन पाण्डेय भारतीय शास्त्र आ पुराण में लिखल बा कि जब-जब धरती पर अत्याचार, अधर्म, अउर पाप बढ़ि जाला तब-तब-भगवान कवनो ना कवनो रूप में अवतार लेके धरम के रक्षा करेलीं अउर पपियन के नास कइके धरती माई के भी दुख हरेलीं। अपने देश में मान्यता हवे कि असुरन के नाश करे खातिर भगवान समय-समय […]

गाँव में गूँजत नइखे ए हो रामा…

लेखक- मनोज भावुक गाँवे आइल बानी. गाँवे माने कौसड़, सिवान, बिहार. बड़का बाबूजी के तबीयत सीरियस बा. 94 साल के उम्र भइल. उम्र के असर बा. बाकी त चारो तरफ कोरोना के असर बा. कोरोना देश-दुनिया के तबाह कइले बा. लोग तड़प-तड़प के मुअता. उत्सव के एह महिना में चारो तरफ मातम बा. रउरा सभे […]

पारंपरिक गीत च‌इता

डॉ. भोला प्रसाद आग्नेय हिंदी कलेंडर के पहिला महीना च‌इत में च‌इता गावल जाला। होली के दिन ले फगुआ गवाला आ ओही दिने आधी रात के बाद सुर लय ताल बदल जाला आ च‌इता शुरू हो जाला। च‌इत महीना में फसल के कटाई शुरू होला आ नया फसल से आपन भण्डार भरे के आसार ल‌उके […]