राउर पाती

संस्मरण अंक लाजवाब आ संग्रहणीय बाटे संस्मरण अंक के सरसरी निगाह से तs हम ओहि दिन देख लिहलीं जवना दिने ऊ हमरा हाथे लागल रहे बाकिर पूरा पढ़े कs फुर्सत तनी देर से मिलल। ईयाद नइखे परत कि ‘भोजपुरी जंक्शन’ कs अबले कवनो अइसन अंक आँखि का सोझा से गुजरल होखे, जवना के कलेवर के […]
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भोजपुरी जंक्शन के हरेक अंक संग्रहणीय आ संदर्भ सामग्री बा भोजपुरी जंक्शन के जेतना भी अंक अब तक आइल बा, भोजपुरी भासा के उत्थान में बड़ी असरकारक उत्प्रेरक के काम कइले बा। एक-एक अंक संग्रहणीय आ संदर्भ सामग्री बा। भोजपुरी के कौनो विधा होखे, शोध-परक लेख, कहानी, संस्मरण भा गीत-कविता, सबका के अपना में समेटले […]
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गजब के अंक बा जी ! कमहीं में ढेर, तनिके में भरपूर गजब के अंक बा जी ! कमहीं में ढेर। तनिके में भरपूर। अबगे डाउनलोड कइनीं हँ। सबले पहिले नजर परल हा सम्पादकीय प। जवना के कथ्य के मूल एह पंक्तियन में बा। ’’प्रेमे इलाज बा नफरत के। प्रेमे इलाज बा तनाव के। दिमाग […]
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गजब के अंक भइल बा इहो.. नजरे नजर में सउँसे पत्रिका हहुआत देख गइनीं। ‘भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक से भी कष्ट’ सभके पढ़े जोग आलेख भइल बा। फेर, डॉ० अनिल कुमार प्रसाद, डॉ० सुनील कुमार पाठक, डॉ० ब्रजभूषण मिश्र के आलेखन प नजर गइल, जवन विश्व साहित्य से लेले हिन्दी-भोजपुरी साहित्य में माई-बाबूजी के पात्र […]
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संपादकन खातिर मिसाल पेश कइले बानीं सचहूं एगो यादगार अंक निकालिके रउआ भोजपुरी पत्रिकन के संपादकन खातिर मिसाल पेश कइले बानीं। अबहीं काल्हे मोतियाबिंद के आपरेशन करवले बानी,एसे पढ़ल-लिखल अबहीं बंद बा। भगवती प्रसाद द्विवेदी, वरिष्ठ साहित्यकार, पटना भोजपुरिये में ना; हिन्दियो में माई-बाबूजी पs ई पहिलका अंक बा ‘भोजपुरी-जंक्शन’ के नयका अंक पढ़नी। […]
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आचार्य महेन्द्र शास्त्री संपादित पहिलका भोजपुरी पत्रिका ‘भोजपुरी‘ के याद दियावत बा ई अंक भावुक जी, कोरोना के त्रासद काल में अपनहीं कोरोना से जुझार करके उबरते रउरा ‘ भोजपुरी जंक्शन ‘ के 01 मई से 15 मई वाला अंक निकालिये देहनी। ई रउरा संकल्प आ निष्ठा के परिचय देत बा। ई अंक देख […]
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भोजपुरी जंक्शन पत्रिका साहित्य नभ के ऊंचाई के छू रहल बा सम्पादक महोदय, भोजपुरी जंक्शन के देखलीं आ पढ़लीं बहुते प्रसन्नता भइल। स्तरीय रचनन के एगो अनुपम जंक्शन के रूप में ई अंक बाटे। रचनन आ सम्पादन के दृष्टि से ई पत्रिका साहित्य नभ के ऊंचाई के छू रहल बा। कवर फोटो अपने आप में […]
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धर्मयुग, साप्तिहिक-हिंदुस्तान, कादंबिनी पत्रिका के समतुल्य है ‘भोजपुरी जंक्शन‘ आपके कुशल एवम सफल संपादन में ‘भोजपुरी जंक्शन’ ई पत्रिका के संपूर्ण पृष्ठों को उलटने पलटने का सुअवसर प्राप्त हुआ। धर्मयुग, साप्तिहिक-हिंदुस्तान, कादंबिनी पत्रिका के समतुल्य आपकी विशिष्ट पत्रिका एक लंबे अंतराल के पश्चात मेरी नज़रों से गुज़र गयी, जिसकी प्रशंसा में दो शब्द लिखना […]
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समै के शब्द-चित्र खींच रहल बा कोरोना विशेषांक कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादयः। लोकसङ्ग्रहमेवापि सम्पश्यन्कर्तुमर्हसि॥ कर्म के महत्ता बतावत एह श्लोक के अंतर्निहित महीनी जदी बूझल जाव त मालूम होखी जे जनक जइसन निर्लिप्त, निर्विकार कर्मयोगी अगर परम सिद्ध भइले आ कहइले, त अपना कर्म में निरत भइला में बिचार के लगातार होत उच्चता के कारन। […]
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अइसन पत्रिका त बुक स्टालो प रहे के चाही ‘हम भोजपुरिया’ पत्रिका पढ़ि के मन मुद्रित हो गइल आ हम भावुक हो गइलीं। महतारी भाषा भोजपुरी के सैकड़ों पत्रिका पढ़े के मिलल बाकिर एकरा लेखा नीमन, उहो मल्टीकलर में आ बापू के शोधपरक रचना से भरल साहित्य के एक-एक पन्ना कीमती बा आ दिल के […]