भोला प्रसाद आग्नेय कुछ न कुछ काम करत रहेले माई। निज हड्डी से लड़त रहे ले माई।। हमरे जिनगी के ऊ…
साहित्य
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ज्योत्स्ना प्रसाद ‘कहानी के प्लॉट’ भोजपुरी-हिन्दी के नया दौर के सुप्रसिद्ध रचनाकार मनोज भावुक के लिखल एक प्रेम-कथा ह l ई कहानी…
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डॉ. सुमन सिंह बंगड़ परेसान हो-हो खटपटिया गुरु के मकान क चक्कर काटत रहलन। कब्बो गेट के लग्गे जाके भित्तर झाँके…
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सत्य प्रकाश शुक्ल बाबा मुखियई के मचि गइल हल्ला, लागल शिकारी चाल में । लेके दउरल चीखना चखना, माछ फँसावे जाल…
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श्री मूंगालाल शास्त्री राहे-राहे रार करे सगरी हो रामा, चूला चइतवा ठावें-ठावें ठान देला रगरी हो रामा, खुलमखुला चइतवा बरगद ना…
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आकृति विज्ञा ‘अर्पण‘ महुवा बीनत हम थाकीं हो रामा, ननद असकितही…. कहनी ननद तनि महुआ बिनाई द ऊ त जाके ह्वाट्सएप…
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आचार्य मुकेश चह-चह चहके अंगनवा हो रामा, चइत महीनवा चइत महीनवा हो चइत महीनवा पल-पल पुलके परनवा हो रामा, चइत महीनवा …
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श्रीमती माधुरी मधु रसे रसे डोलेला पवनवा हो रामा, चइत महिनवा एक त पिया मोरे , गइले बिदेसवा, भेजले ना अबहीले…
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श्री मिथिलेश गहमरी पियवा के चाहीं परधानी ए रामा, छुटली चुहनिया पहिले त सुध मुंह, पियवा ना बोले, महिला कोटा होते…