मानवता खातिर युद्ध न शांति जरूरी बा

संतोष कुमार सिंह  विश्व में मानवता के बचावे खातिर युद्ध ना, शान्ति के पहल पर शक्तिशाली देशनों के जोर देवे केआवश्यकता बा। पूरा विश्व अभी कोरोना के कहर से संभललो नइखे कि रूस आ यूक्रेन के टकराहट से पूरा विश्व के मानवजाति पर खतरा मंडराय लागल बा। एह बार खतरा कोरोना से नइखे बल्कि वर्चस्व […]

विश्व शांति खातिन युद्ध नाही वैचारिक क्रान्ति के आवश्यकता बा

सरिता सिंह गोरखपुर आज विश्व युद्ध के जौंन त्रासदी भइल बा ओसे खाली रूस ही नाही, जेतना भी देस बाटे सबही में खड़मंडन मचल बा, सागरो जहान ई विभीषिका से त्रस्त ह, कतहुं भी शांति नाही लौकत बा,  कुल देसन में भयावह स्थिति बा, सगरो विश्व में हाहाकार मचल बा, कुल ओर त्राहि-त्राहि के दृश्य […]

लड़ाई के हवन कुंड में रूस आ यूक्रेन

किरण सिंह अभी कोरोना के कहर से आदमी सम्हरल ना कि  ई दू देसन (रूस आ युक्रेन) के बीच में लड़ाई छिड़ गइल। इ त सभे जानेला कि जंग छिड़ गइला के बाद जीत भले बरियार के हो जाई बाकिर नुकसान अबरा के त होखबे करेला बरियरो के कम ना होखेला। आज दुनिया जतना आगे […]

रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव।

राजेश पाण्डेय “मन धक् से हो गइल बा युद्ध के नाम सुनते कब ले चली दुनिया में ये आपसी वर्चस्व के लड़ाई” रूस यूक्रेन युद्ध के कई गो आयाम बा। इ युद्ध बाघ बकरी के बीच होत बा। एक ओर महाशक्ति तऽ दूसरा ओर यूक्रेन जइसन नवहीं देश बा, फेर युद्ध काहे भइल। एकरा पर […]

लोकतांत्रिक तत्व के कमी युद्ध के कारण बा

गणेश दत्त पाठक रूस यूक्रेन जंग के जंग शुरू भइले काफी दिन हो गइल लेकिन अभी जंग खतम होखे के कौनो संकेत दिखाई नइखे देत। लेकिन रूस आ यूक्रेन जइसन लोकतांत्रिक देसन के बीच जंग कई सवाल खड़ा जरूर करत बा?  आमतौर पर मानल जाला कि आम जनता कबो जंग ना चाहेले। त आम जनता […]

भगवान छपरफार

प्रकाश उदय ॥ सुनला प लागे कि सुनत जवन बानीं तवन केहू से कहियो कुछ सुनले कहीँ बानीं त अहोभाग, लागे कि सुनले जवन बानीं तवन एहू से सुनिए के मानीं, अबकियो, एजुगियो, त अहोअहोभाग… ॥ बादशाहूदीन बादशा के बादशाही में जहाँ कहऽ तहाँ, जतना कहऽ ततना, अमन कहऽ अमन, चैन कहऽ चैन। बादशाहूदीन बादशा […]

आदि शंकराचार्य के अमर योगदान

विनय बिहारी सिंह एमे कौनो दू राय नइखे कि आदि शंकराचार्य सनातन धर्म के एने-ओने छिंटाइल विचारधारा के एकीकरण क दिहले। उनकर जनम केरल के मालाबार इलाका के कालड़ी गांव में नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में भइल रहे। पिता- शिवगुरु आ माता- आर्याम्बा परम ईश्वरभक्त रहे लोग। शंकराचार्य के जन्म सातवीं शताब्दी के मानल जाला। बाकिर […]

भाषा-साहित्य-संस्कृति के मोती: मोती बीए

भगवती प्रसाद द्विवेदी  नब्बे-पार मोती बीए लमहर बेमारी से जूझत आखिरकार 18 जनवरी, 2009 के सदेह एह लोक से मुकुती पा लेले रहनीं। किशोरे उमिर (1934) से संग-साथ देबे वाली जीवन संगिनी लछिमी सरूपा लक्ष्मी देवी पहिलहीं 1987 में साथ छोड़ि देले रहली। बांचि गइल रहे उन्हुका इयाद में बनावल ‘लक्ष्मी निवास’, जहंवां हिन्दी, भोजपुरी, […]

डुमराँव के साहित्यिक सपूत शैदाजी

मार्कन्डेय शारदेय   विश्वनाथ प्रसाद ‘शैदा’  एगो अइसन नाँव जे आपन व्यक्तित्व आ कृतित्व से अपने ना, अपना साथे आपन जिला-जवार, प्रदेश आ भोजपुरियो के एगो अलगे पहचान देलस। उनुकर कारयित्री प्रतिभा शैक्षणिक प्रमाणपत्रन के ऊँचाइयन के दरकिनार कइके आ सम्पन्नता के बड़-बड़ इमारतन के नजरअंदाज करत ‘स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते’ एह सूक्ति के चरितार्थ कइलस। उनुका […]

अविनाश चंद्र विद्यार्थी जी के भोजपुरी साहित्य साधना

प्रो. (डॉ.) जयकान्त सिंह  ‘जय‘ आज जब एक-एक करके भोजपुरी सेवी साहित्य सर्जक पूरखन के इयाद कर रहल बानी तब ओह लरी के सबसे अनमोल कड़ी के रूप में ‘ विद्यार्थी जी ‘ के इयाद बरबस आ जाता। विद्यार्थी जी मतलब अविनाश चंद्र विद्यार्थी। सन् उनइस सौ सत्तासी-अठासी के आसपास भोजपुरी के सिद्ध गजलकार जगन्नाथ […]