मनोज भावुक
सात जनवरी 2003 (मंगलवार) एन.एस.ई. ग्राउण्ड। बाम्बे एक्जिविशन सेंटर, गोरेगाँव (पूर्व) के ऊपरी हॉल में हिन्दी फीचर फिल्म ‘एतबार’ के शूटिंग चलत रहे। हम अपना अनुज धर्मेंद्र के साथे दिन के बारह बजे पहुँचनी। हालाँकि शुटिंग के निर्धारित समय रहे सुबह के 9 बजे से शाम के 6 बजे तक। एन.एस.ई. ग्राउण्ड के मुख्य द्वार पर खड़ा सुरक्षाकर्मी हमनी के रोकलस। हम आपन परिचय देत कहनी कि ‘सुजीत कुमार जी ने हमें आमंत्रित किया है।’ दरअसल ‘एतबार’ सुजीत कुमार जी के प्रोडक्शन ह आ निर्माता के रुप में ऊहाँ के अपना बेटा जतिन के नाम देले बानी। जब दिसम्बर 2002 के पहिला सप्ताह में हम ऊहाँ के इण्टरव्यू लेवे ऊहाँ के निवास स्थान पर गइल रहनी तब बातचीत के क्रम में ऊहाँ के बतइनी कि 22 दिसम्बर 2002 से 10 जनवरी 2003 तक ‘एतबार’ के शूटिंग बा। हमार बेटा जतिन एह फिल्म के निर्माता बाड़न आ सुपरहिट फिल्म ‘राज’ के निर्देशक विक्रम भट्ट एकर निर्देशक बाड़न। विपाशा बशु, जॉन अब्राहम आ अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में बा लोग। संगीत बा राजेश रोशन के। अपना घर के प्रोडक्शन बा…अपने आईं। जी जरुर… जरुर आइब। वादा करके हम वापस लौट आइल रहनी।
अतना फुर्सत ना रहे जे शुरु से अंत तक शूटिंग में हिस्सा लिहल जा सके।… अभी दिन तय करत रहीं कि हमार पोस्टिंग विदेश (युगाण्डा, पूर्वी अफ्रिका) में हो गइल। एही सिलसिला में पुनः मुम्बई(एयरपोर्ट) आवे के पड़ल। 6 जनवरी के हम मुम्बई पहुँचनी आ विदेश जाए संबंधी आपन व्यक्तिगत, काम निपटइनी।
रात के सुजीत कुमार जी के फोन कइनी। उहाँ के विहान भइला एन.एस.ई. ग्राउण्ड, गोरेगाँव में बोला लिहनी।
एन.एस.ई. ग्राउण्ड के मुख्य द्वार पर खड़ा सुरक्षाकर्मियन के पुछताछ चलत रहे कि सुजीत कुमार जी भीतर से सिगरेट के धुआँ उड़ावत बाहर निकलनी।
…. हमनी पर नजर पड़ल… हैलो हाय भइल फेर उहाँ के हमनी के लेके भीतर वापस लौट गइनी। कल आप लोग आते तो विपाशा व जॉन अब्राहम से भेंट हो जाती। ये देखिए… मैंने यहाँ स्ट्रीट लगवाई थी।…. कल की बारिश में विपाशा की शूटिंग हुई।… ये देखिए बारिश के लिए सारा इंतजाम यहाँ से था।…. आज शूटिंग ऊपर वाले हॉल में है।….अमिताभ बच्चन बैठे हैं।…चलिए…. आइए आइए।
हॉल बहुत छोट रहे। ओकरा के हॉल ना कहि के बड़ कमरा आ दालान कहल ढ़ेर ठीक होई। दालान के एगो कोना में अमिताभ बच्चन फूल गला के ब्लैक टी-शर्ट, ब्लैक जिन्स, ब्लैक शूज आ ब्लैक जैकेट पहिरले एक प एक धइल तीन गो कुर्सी पर बइठल रहलें। तीन गो कुर्सी पर बइठला से उनकर पैर फर्श पर सीधा रहे ना त मोड़ के बइठे के पड़ित।
अमिताभ बच्चन के ठीक सामने निर्देशक विक्रम भट्ट अपना टीम के साथे अगिला सीन के तैयारी में व्यस्त रहलन।
दू गो सीन शूट भइला के बाद लंच के टाइम हो गइल। हमार ध्यान एयरपोर्ट के तरफ गइल। कुछ काम बाकी रह गइल रहे। हम सुजीत कुमार जी से इजाजत मँगनी बाकिर ऊहाँ के रोक लिहनी-लंच करके जाइए। लंच के बाद दूसरा पाली के शूटिंग में भी हम रुक गइनी। दरअसल हम अमिताभ बच्चन से बातचीत करें के लोभ-संवरण ना कर पावत रहनी। तीन बजे शूटिंग शुरु भइल। सीन के तैयारी चलत रहे। अमिताभ बच्चन एकदम शान्त आ गंभीर बइठल रहले। मौका देखते हम उनका पास गइनी आ आपन परिचय दिहनी। अभी बातचीत शुरुये भइल कि एगो महिला आके उनकर चरण-स्पर्श कइली। अमिताभ ओने मूड़ गइलें- ‘सॉरी अभी पाँच मिनट बाद आपसे बात करते हैं।’३३बाकिर ऊ पाँच मिनट ओह दिन ना आ सकल। हम मन मसोस के रह गइनी।
बिहान भइला(8 जनवरी) हम तनी सेकराहे सेट पर पहुँच गइनी। थोड़ही देर बाद अमिताभ बच्चन के गाड़ी (क्ध्4ब्-20061) पहुँचल। ऊ सफेद पैजामा कुर्ता में रहलें। उनका साथे एगो सरकारी मशीनगनधारी, आपन निजी सुरक्षाकर्मी आ सचिव रहलें। गाड़ी से उतर के फिल्म के कॉस्ट्यूम धारण कइके ऊ सेट पर गइलें। हम ऊहाँ पहिलही से मौजूद रहीं। मन-मिजाज बनले रहे। मौका देखते सट गइनी।
टेक्नीशियन आ मेहमानन से खचाखच भरल ओह हॉल में बहुत अधिक बातचीत के गुंजाइश ना रहे। हम शार्ट-कट रास्ता अपनवनी।…. उहाँ के भोजपुरी के कुछ पत्र-पत्रिका भेंट कइनी आ भोजपुरी के सामर्थ्य से परिचित करइनी। भोजपुरी मे पत्र-पत्रिका देख के आ भोजपुरी साहित्य के उत्तरोत्तर विकास के बात सुन के ऊहाँ के आश्चर्यजनक प्रसन्नता व्यक्त कइनी आ खासकर के हमरा शोध पत्र ‘भोजपुरी सिनेमा के विकास-यात्रा’ के तारीफ करत एह शोध पुस्तक के मुख्य पृष्ठ पर आपन ऑटोग्राफ अंकित कइनी।
फेर उहाँ के शूटिंग शुरु हो गइल। अमिताभ बच्चन जी सुजीत कुमार के भोजपुरी फिल्म ‘पान खाए सइयाँँ हमार’ में त काम कइलहीं बानी, एकरा अलावा भी दर्जनों हिन्दी फिल्म जइसे कि लाल बादशाह, कोहराम, अदालत आदि में ऊहाँ के ठेठ भोजपुरी संवाद के सफल प्रयोग कइले बानी।
भोजपुरी सिनेमा के नायक दौर में अपना मेकअप मैन दीपक सावंत के तीन गो भोजपुरी फिल्म गंगाए गंगोत्री आ गंगा घाट में भी उहाँ के अभिनय कइनी।
हिन्दी सिनेमा के एह महान विभूति के पास आम शहरी हीरो लेखा आपन भाषा के प्रति मन में ना त कवनों संकीर्णता बा, ना ही हीन भावना। हिन्दी सिनेमा में भोजपुरी के ओकरा तेवर, टोन आ मिजाज के अनुरुप संवाद अदायगी खातिर भी अगर कवनों अभिनेता के याद कइल जाई त निश्चित रुप से ऊ पहिला नाम ई गंगा किनारे वाला छोरा अमिताभ बच्चन के।