हिन्दी के कहानी आ उपन्यास पर बनल बा कई गो हिन्दी फिल्म

November 15, 2021
सिनेमा
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लेखक: मनोज भावुक

हर साल 14 सितंबर के हमनी के मातृभाषा हिन्दी के सम्मान में हिन्दी दिवस मनावेनी जा। हिन्दी एगो सेतु भाषा भी ह, दू अलग अलग लोक भाषा के बोलनिहार के बीच संवाद खातिर। हालांकि हिन्दी के एह उपयोगिता पर बार बार विदेशी भाषा अंग्रेजी के प्रहार होत रहल बा लेकिन तबो हिन्दी आपन दमखम बनवले बिया आ धीरे धीरे विदेश में भी आपन असर देखा रहल बिया। कवनो भी भाषा के दोसरा क्षेत्र में भी लोकप्रिय करे में ओकरा सिनेमा के बड़ जोगदान रहेला। हिन्दी के विदेशन में बढ़त लोकप्रियता के एगो कारण हिन्दी सिनेमा भी बा। बहुते लोग हिन्दी एह से सीखेला कि उ इहाँ बनल सुंदर फिल्मन के देख सके, ओकर सही ढंग से आनंद ले सके। रउआ ई त जानते होखब कि राज कपूर के एक टाइम में विदेशन में बहुत फैन रहलें। बाद के हिन्दी फिल्म के सुपरस्टार लोग के साथे भी अइसन रहल बा। अब जइसे शाहरुख खान के फैन मिडल ईस्ट में बहुत बाड़ें, उहाँ शाहरुख के फिल्म बड़ा चाव से देखल जाला। दक्षिण भारत के फिल्मन में जे तरे उहाँ के साहित्य के महान कृति के रूपांतरण भइल बा, ओह तरे हिन्दी फिल्मन में त नइखे भइल। बाकिर अइसनो नइखे कि साफे नइखे भइल। हिन्दी सिनेमा में भी कइगो फिल्मन के कहानी हिन्दी साहित्य के बड़ उपन्यास भा कहानी से लिहल गइल बा। हालांकि अंग्रेजी आ दूसर कवनो भाषा में लिखल उपन्यास अउरी कहानी पर हिन्दी में ज्यादा फिलिम बनल बा, बजाय हिन्दी के। अब एकरा के दुर्भाग्य कह लीं भा विडंबना। एगो बड़ हिन्दी सिनेमा के आलोचक अपना रिपोर्ट में लिखले रहलें कि एह घरी के अधिकांश हिन्दी फिल्म निर्देशक अगर कवनो साहित्य पढेलें त उ अंग्रेजी, स्पैनिश भा दोसर भाषा के होला, हिन्दी साहित्य के उ लोग पूछबो ना करेला। कहे के माने बा फिलिम बनावे के बा हिन्दी में, रोटी कमाए के बा एही से बाकिर साहित्य पढ़ल जाई विदेशी। रउआ लोग के ई जान के बड़ा हैरत होई कि अधिकतर हिन्दी सिनेमा के स्क्रिप्ट अंग्रेजी में लिखाला। अगर संवाद भी लिखल जाला त उ रोमन लिपि में होला। कहे के माने कि कुछ अपवाद के छोड़ दीं त निर्देशक से लेके कलाकार ले हिन्दी सिनेमा से आपन कला अउरी पेट के भूख मिटावता बाकिर हिन्दी भाषा से ओकरा कवनो लसी-धागा नइखे रखे के। का बताईं, ई तथ्य जान के कई बार बहुत दुख होला।

हम टीवी उद्योग में लगभग डेढ़ दशक से बानी। एक बार एगो टीवी चैनल के घटना बतावsतानी। एगो निर्माता अपना सहायक के साथे आपन सीरियल के प्रोजेक्ट लेके चैनल के दफ्तर गइलें। उहाँ शानदार एसी रूम में एगो अंग्रेजी दां मेम बइठल रहली, उमीर लगभिग निर्माता के बेटी के बराबर होई, माने 25 से 30 के बीच में। उहे कहानी सुन के आपन हामी भरती त बात आगे बढ़ित। कहानी के नैरेशन भइल, ओकरा बाद उ अंग्रेजिए में पुछली कि एकर ओरिजनल लेखक के ह। निर्माता कहलें प्रेमचंद। उ कहली कि कहानी त हमरा अच्छा लागल ह बाकिर हमनी के ओरिजनल राइटर से भी एक बार मीटिंग कइल चाहतानी जा। इस सुन के बेचारु निर्माता के त जोर के हंसी आइल बाकिर उ अपना के रोक लिहलें आ कहलें कि मैडम हम एक बार मीटिंग फिक्स करे के कोशिश करब, आ बाहर चल अइलें। बाहर आवते उ ठठा के हँसले। उनके सहायक पुछलस, काहें ना कहनी हँ कि प्रेमचंद से मिले के बा त उपरे चल जा, उहाँ फुरसत में भेंटा जइहें।

तs, ई कुल्ह हाल चाल बा एह बेरा के हिन्दी सिनेमा के रोटी खा रहल लोग के। खैर, हम रउआ के कुछ अइसन फिल्मन के नाम बताएब जवन हिन्दी के उत्कृष्ट कृति पर बनल बाटे। प्रेमचंद पर बात भइल ह त उनकरे सबसे प्रसिद्ध उपन्यास गोदान पर साल 1963 में फिल्म गोदान बनल रहे, राजकुमार और कामिनी कौशल ओह में मुख्य भूमिका में रहे लोग। एही फिल्म में गीतकार अंजान अपना करियर के शुरुआती हिट गीत लिखले रहलें। फिल्म बड़ा सुंदर बनल रहे आ लोग अभिनो एकरा के पसंद करेला। प्रेमचंद के ही लोकप्रिय उपन्यास गबन पर 1966 में ‘गबन’ नाम से फिल्म बनल जे में सुनील दत्त अउरी साधना रहे लोग। ई फिल्म कृष्ण चोपड़ा आ ऋषिकेश मुखर्जी मिल के निर्देशित कइले रहे लोग। प्रेमचंद के कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ पर एही नाम से फिल्म भी बनल 1977 में। एकर निर्देशक महान निर्देशक सत्यजीत रे रहलें। एह फिल्म के ओ साल के सर्वश्रेष्ठ फिल्म के श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिलल। सत्यजीत रे पर प्रेमचंद के रचना संसार के बहुत असर रहे। उ ओम पूरी अउरी स्मिता पाटील के ले के फिल्म सद्गति बनवलें। ई फिल्म भी प्रेमचंद के एही नाम के कहानी पर आधारित रहे।

भीष्म साहनी के हिन्दी सिनेमा से एगो रिश्ता रहे, हालांकि हिन्दी सिनेमा से ना जुडलें बाकिर उनके भाई बलराज साहनी हिन्दी के एगो प्रतिष्ठित अउरी सफलतम कलाकार मानल जालें। भीष्म साहनी के कई गो नाटक के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रस्तुति भइल। उनके लिखल स्क्रीनप्ले पर चर्चित टीवी शो तमस बनल। भगवती चरण वर्मा के लिखल चित्रलेखा हिन्दी के बड़ उपन्यास ह, ओ पर किदार शर्मा 1941 अउरी 1964 में दू बार हिन्दी फिल्म बनवलें अउरी दुनू सफल भइल। फणीश्वर नाथ रेणू के हिन्दी साहित्य में एगो बड़ साहित्यकार के दर्जा मिलल बा। उनके लिखल कहानी मारे गए गुलफाम पर आधारित फिल्म तीसरी कसम बनल जवन हिन्दी सिनेमा के क्लासिक फिल्म मानल जाले। एह फिल्म के निर्माता गीतकार शैलेन्द्र रहलें। 1978 के सफलतम फिल्म में से एक ‘पति पत्नी और वो; कमलेश्वर के लिखल कहानी पर रहे। उहे एह फिल्म के स्क्रीनप्ले भी लिखलें।

अउर भी कई गो बड़ फिल्मन के नाम बा जवन हिन्दी साहित्य के बड़ कृतियन पर बनल बा।

 

 

 

 

 

 

 

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