तारकेश्वर राय तारक
समय बड़ा बलवान होला, ई कब केकरा सामने कवना रूप में आई कहल मोसकिल बा। देखीं ना कुछ समय पहिले तक यूक्रेन के नागरिक सपनो में ना सोचले होखिहन कि युद्ध जइसन कवनो बिपत से दू दू हाँथ करे के परी। काहे रूस रिसिया गइल आ यूक्रेन पर हमला कई दिहलस ?
सोवियत संघ 25 दिसम्बर 1991 के टूटल गइल आ 15 गो स्वतंत्र गणराज्यन के नीव पड़ल, जेकर नाव रहे- आर्मीनिया, अज़रबैजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाखस्तान, कीर्गिस्तान, लातिवा, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन अउरी उज़्बेकिस्तान।
सोवियत संघ टूटला के बादो रूस आ यूक्रेन के संबंध ठीके ठाक रहे। यूक्रेन के विदेश नीति पर रूस के प्रभाव साफ झलके। स्वतन्त्र होखला के बावजूद रूसी शासन के आदेश पर ही काम करे यूक्रेन सरकार। हर दिन होत ना एक समाना, समय के साथ हालत करवट लिहलस महंगाई बढे लागल अर्थब्यवस्था बिगड़े लागल। गिनती में कम होखला के बावजूद रूसी भाषा भाषी लोगन के शासन बहुसंख्यक यूक्रेनी लोग के निक ना लागत रहे एही से गते-गते विद्रोह के चिंगारी सुनगे लागल। यूक्रेनी अवाम के घोर बिरोध के चलते रुस के समर्थक राष्ट्रपति के पद छोड़ के भागे के परल, तत्कालीन राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की 2019 में यूक्रेन के संविधान में फेरबदल करके खुद के यूरोपीय संघ अउरी नाटो सैन्य संगठन के हिस्सा बने के ऐलान कई दिहलन। बस एही बात पर रूस के मरीचा लाग गइल, ओके लागल यूक्रेन भविष्य में खतरा बन सकत बा, एही से सख्त बिरोध कइलस। यूक्रेन बनर भभकी समझ के बिरोध पर ढेर ध्यान ना दिहलस। अपना बात पर अमल ना होखत देख रूस 24 फरवरी 2022 के यूक्रेन पर सैन्य ऑपरेशन के ऐलान कइलस अउरी जंग शुरू हो गइल। अइसन बात नइखे कि संवाद ना भइल, कई बेर भइल बाकी कवनो हल ना निकलल। रूसी सेना शहर दर शहर के बर्बाद करत यूक्रेन के राजधानी पर कब्जा करे खातिर भारी हमला कर रहल बिया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की 18 से 60 साल के पुरुषन पर देश छोड़े पर प्रतिबंध लगा देले बाड़े, एही से पलायन करेवाला में ज्यादातर संख्या महिला, बच्चा अउरी बुजुर्गन के बा।
जिन्दगी के सारा खेल त नियति के रचल होला, रहल बात इन्सान के त उ त खाली आपन किरदार निभावेला। ओकर हाँथ में कुछउ ना होला ओके त समय के साथ आपन जिनगी के सफर जारी रखही के परी। इंसान के फितरत ह, केतनो कठिनाई होखे उ आपन जिनिगी के जिए के जुगाड़ खोजी लेला। ठीके कहाला युद्ध भूख आ आफत-बिपत आदमी के आपन भूगोल बदलेके मजबूर क देला। इहे दुख से गुजर रहल बिया यूक्रेन के आम जनता, रउवा कह सकत बानी दूसरका बिश्व युद्ध के बाद ई एगो बड़का पलायन के नाजिर बा। खबर बता रहल बा 20 लाख से अधिक मेहरारू लईकी लईका आ बुजुर्ग पड़ोसी देश के सीमा पार कर चुकल बा लो, पलायन रुकल नइखे अबहीयो जारी बा। सीरिया अफगानिस्तान के बाद यूक्रेन के नाव भी ओह सूची में दर्ज हो गइल बा जहवां के लोग अपना जर से टूट के बसल आशियाना आपन जमीन देश के छोड़ी के गैर मुल्क के रहमो करम पर जीवन काटे के मजबूर बा।
युद्ध खाली तबाहिये लेके ना आवे एकरा साथे आवेला सभ्यता संस्कृति के नेस्तनाबूद करे वाला ज्वालामुखी। शरणार्थी के रूप में जान बचावे के कीमत अदा करे के पड़ेला देश के नागरिकन के। एगो उन्मादी शासक के भू-राजनीतिक उन्माद के चलते लाखन लोग के जिनगी जीवनभर संघर्ष के आगि में जरे के मजबूर भइल बा। दुनिया भर में करीब 8 करोड़ लोग शरणार्थी के रूप में जीनगी जी रहल बा। यूक्रेन के टटका शरणार्थी संकट कई गो नया सवाल के जन्म दे रहल बा। दुनिया के एगो बड़हन जनसँख्या विस्थापन के संकठ से कइसे बहरियाइ ? हेतना बड़हन जन सैलाब के कहवाँ जगह भेटाइ ? के देहि ? भरण पोषण के जिम्मा के लिही? अबही त पोलैंड सहित दूसर देश इंसानियत के चलते जगह दे रहल बान। लेकिन केतना दिन ? पनाह देवे वाला देशन के भी आपन एगो सीमा बा।
संयुक्त राष्ट्र पहिलहीं एह त्रासदी के दुनिया के सबसे बड़हन शरणार्थी समस्या घोषित क चुकल बा। युद्ध फिलहाल त यूक्रेन आ रूस के बीच बा अगर एह लड़ाई में दूसर देश सामिल हो गइलन स त स्थिति अउरी भयावह हो जाई। रोकले ना रोकाई तबाही।
हमनी के पड़ोसी देश पाकिस्तान नेपाल आ खुद भारत भी बरिसन से शरणार्थी समस्या से जूझ रहल बा। भारत मे बांग्लादेशी, म्यांमारी, तिब्बती, अफगानी, सोमाली, रोहिंग्याई, पाकिस्तानी, अउर श्रीलंकाई सहित अउरी पड़ोसी देशन से आइल शरणार्थी के मसला काफी संवेदनशील बा। शरणार्थी समस्या खाली भारते ना कवनो देश बदे स्थाई समस्या बन जाला। देश के आर्थिक अउरी प्राकृतिक संसाधन पर अनावश्यक जोर बढेला। आपन हिस्सा में से ही शरणार्थी के देवे के मजबूरी होला। कब तक बाँटे के परी एकरो समय सीमा तय नइखे।
मौजूदा शरणार्थी समस्या के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टुडो के हालिए पोलैंड यात्रा के दौरान दिहल बयान जख्म पर मरहम जइसन सुखदाई बा “युद्ध के चलते यूक्रेन के छोड़े वाला लोग के कनाडा शरण देवे के तैयार बा, ना सिर्फ शरण दिही बल्कि पढ़े-लिखे रोजी रोजगार के भी बेवस्था करी। युद्ध ख़तम भइला के बाद इहो बिकल्प दियाई के जे जाईल चाही ओके जाए के बेवस्था कइल जाइ आ जे ना जाइल चाही आगे के जिनिगी कनाडा में ही बितावल चाही, ओहू के क्षमता अनुसार सरकारी सहायता दियाई।”
एह अंहियारी रात के सुबह जल्दी होखो, युद्ध कवनो समस्या के स्थायी हल नइखे हो सकत। एकरा से दुनो देश के सिर्फ आर्थिक आ समाजिक नुकसान होला। संसाधन त बर्बाद होइबे करेला साथे साथ मानसिक भावनात्मक आघात भी पहुंचेला। युद्ध वर्तमान आ आवे वाली पीढ़ी पर बुरा असर त डलबे करेला एकरा से पूरा दुनिया पर प्रत्यक्ष भा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव परेला, ब्यापार त प्रभावित होखबे करेला तनाव के माहौल में जिए के मजबूर हो जाला पूरा आदम जात।
परिचय : लेखक तारकेश्वर राय तारक जी त्रैमासिक भोजपुरी ई-पत्रिका सिरिजन के उपसम्पादक अउरी गाँव गिरांव आ माटी से जुड़े खातिर उत्सुक कलमकार हईं।