सत्य प्रकाश शुक्ल बाबा मुखियई के मचि गइल हल्ला, लागल शिकारी चाल में । लेके दउरल चीखना चखना, माछ फँसावे जाल…
Category:
कविता
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श्री मूंगालाल शास्त्री राहे-राहे रार करे सगरी हो रामा, चूला चइतवा ठावें-ठावें ठान देला रगरी हो रामा, खुलमखुला चइतवा बरगद ना…
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आकृति विज्ञा ‘अर्पण‘ महुवा बीनत हम थाकीं हो रामा, ननद असकितही…. कहनी ननद तनि महुआ बिनाई द ऊ त जाके ह्वाट्सएप…
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आचार्य मुकेश चह-चह चहके अंगनवा हो रामा, चइत महीनवा चइत महीनवा हो चइत महीनवा पल-पल पुलके परनवा हो रामा, चइत महीनवा …
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श्रीमती माधुरी मधु रसे रसे डोलेला पवनवा हो रामा, चइत महिनवा एक त पिया मोरे , गइले बिदेसवा, भेजले ना अबहीले…
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श्री मिथिलेश गहमरी पियवा के चाहीं परधानी ए रामा, छुटली चुहनिया पहिले त सुध मुंह, पियवा ना बोले, महिला कोटा होते…
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